9 FEB 18
वासु गर्ग
अस्पताल और डॉक्टरों को धरती पर भगवान और जीवन देने वाला माना जाता है लेकिन यह सिर्फ उनके लिए भगवान होते हैं जिनकी जेब में पैसे होते हैं जो लावारिस होते हैं उनको यहां मिलती है सिर्फ मौत यह हम नहीं कह रहे यह कह रहे हैं हरिद्वार के जिला चिकित्सालय से मिले आंकड़े जी हां जिला चिकित्सालय से मिले आंकड़ों पर यदि यकीन किया जाए तो यहां 3 साल में आए तमाम लावारिस मरीजों को जिंदगी नहीं बल्कि मौत मिली है अस्पताल में भर्ती लावारिस मरीजों का ये हाल है कि न तो उन्हें दवा अच्छी मिल रही हैं और न ही भोजन देखिये हरिद्वार से यह खास रिपोर्ट
—आरटीआई में हुआ बड़ा खुलासा।
—हरिद्वार के जिला चिकित्सालय में लावारिस मरीजों को ज़िन्दगी नहीं मिलती है मौत।
—3 सालों के दिये गए आंकड़ों में भर्ती हुए 202 मरीज़।
—202 मरीजों की हुई है मौत।
—लावारिस मरीजों की नहीं होती अस्पताल में देखभाल।
—एमएस का दावा दी गयी सूचना गलत।
—गलत सूचना देने वाले को नोटिस देने की तैयारी।
दरअसल इस बात की हकीकत तब उजागर हुई जब हरिद्वार की गंग ज्योति मिशन संस्थान ने सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी कि हरिद्वार जिला अस्पताल में कितने लावारिस लोग साल 2014 जनवरी से अब तक भर्ती हुए हैं और कितने लोगों को उपचार के दौरान स्वस्थ करके डिस्चार्ज किया है सूचना के अधिकार में यह भी पूछा गया कि कितने लोगों को इलाज के दौरान डॉक्टर बचा नहीं पाए हैं इस सूचना के जवाब में जो जानकारी दी गई वह बेहद चौंकाने वाली थी जवाब दिया गया कि साल 2014 जनवरी से 2017 तक जितने लोग भी भर्ती हुए हैं वह सभी मारे गए हैं
——आरटीआई में हुए खुलासे के अनुसार——
1—2014 में कुल 67 लावारिश लोग भर्ती हुये है जो सभी के सभी मारे गए है
2–2015 में 96 लावारिश लोग भर्ती हुये जो सभी मारे गए है
3–2016 में 87 लोग लावारिश भर्ती हुये जो सभी मारे गए
4—2017 में 48 लोग मारे गए जो सभी मारे गए
एक संसथान द्वारा मांगे गए सूचना के अधिकार में मिली जानकारी में सिर्फ तीन साल का ही आंकड़ा मांगा गया था जो कुछ इस तरह आया है अब आप खुद सोच सकते है कि राज्य बनने के बाद से अब तक का आंकड़ा अगर मांगा गया होता तो क्या तस्वीरें निकल कर सामने आती ।
जिले के सबसे बड़ी सरकारी अस्पताल पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है लेकिन यहां आने वाले लावारिस मरीजों को यह अस्पताल जिंदगी नहीं बल्कि मौत बांट रहा है गंग ज्योति मिशन संस्थान से सचिन बेनीवाल का कहना है कि अस्पताल में लावारिस मरीजों पर न तो ध्यान दिया जाता है और ना ही उनको सही दवा दी जाती है यही कारण है कि 3 साल में यहां 202 मरीज लावारिस भर्ती किए गए जिन सभी की मौत हो गई इनका कहना है कि इस अस्पताल से कोई ना कोई बड़ा गोरखधंधा संचालित हो रहा है जिसकी जांच होनी अब जरूरी है क्योंकि इन लावारिस मरीजों की मौत का कारण पूछने वाला कोई नहीं होता।
गंगा ज्योति मिशन से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार ओर प्रसासन को ये जांच करनी चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है संस्था से जुड़े भावयनरण और सचिन बेनीवाल कहते है कि लावारिस मरीजो को डॉक्टर स्वीपर के हवाले छोड़ा जाता है दवाई भी मरीज़ो को टाइम पर मिलती नही ओर जिला अस्पताल में खाना कैसा मिल रहा है ये खुद मरीज ही बता रहे है ये सभी लोग चाहते है कि इस मामले में तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए कि आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है और जो लोग लावारिस मरीज के रूप में जिला अस्पताल में भर्ती हो रहे है उन सबकी मृत्यु क्यों हो रही है
अस्पताल का हाल यहां भर्ती लावारिस मरीजों ने भी अपनी जुबां से बयां किया इनका कहना है कि यहां पर न तो इनको अच्छी दवा मिलती है और ना ही खाना अस्पताल के डॉक्टर बस इन्हें यहां से बाहर करने की सोचते हैं।
लावारिस मरीजों की मौत का सवाल जब जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ अर्जुन सिंह सेंगर से पूछा गया तो उन्होंने आरटीआई में दी गई जानकारी को ही गलत बता दीया इनका कहना है कि यहां पर बहुत से लावारिस मरीज आते हैं जिनके लिए अलग से बॉडी बनाया गया है उनको तमाम सुविधाएं दी जाती हैं अब इनका कहना है कि जिस डॉक्टर ने गलत जानकारी दी उस को नोटिस जारी किया जाएगा।
इस अस्पताल में आये दिन विधायक मंत्री और जिला प्रसासन के लोग निरक्षण करते रहते है लेकिन ऊपरी वार्ड यानी लावारिश वार्ड में जाकर कोई नही देखता ओर जब किसी बड़े अधिकारी के आने की सूचना मिलती है तो आनन फानन में वेवस्थाओ को ऊपर से सही कर दिया जाता है यानी बिस्तर पर पड़े मरीजो के ऊपर साफ कंबल डाल दिये जाते है पर नीचे हालात वही होते है