23 साल पहले भी अटल जी इनकी अस्थियां लेकर आये थे हरिद्वार, उसी जगह गंगा जी मे उनकी अस्थियां होंगी विसर्जित

संजय आर्य

हरिद्वार,

राजनीति के भीष्म पितामह अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां 19 अगस्त को हरिद्वार में हर की पौड़ी पर ठीक उसी जगह गंगा जी मे विसर्जित की जाएंगी जंहा पर करीब 22-23 साल पहले अटल जी अपनी दत्तक पुत्री नमिता के पिता ब्रज मोहन नाथ कौल की अस्थियां विसर्जित करने के लिए आये थे। ब्रज मोहन नाथ कौल का अमेरिका में निधन हो गया था और उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित की गई थी। कौल का वाजपेयी के जीवन मे क्या महत्व था इसका पता इसी से चलता है कि टैब अटल जी बैंगलोर में चल रही भाजपा की तीन दिवसीय अति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे  दिन ही बैठक को बीच मे छोड़ कर उनकी अस्थियो के साथ हरिद्वार आये थे।

अटल जी ने राजनीति हो या सावर्जनिक जीवन मे जो आदर्श दुनिया के सामने रखे उनकी मिसाल देश मे दूसरी कोई नही मिलती है। अटल जी के लिए संबंध और रिश्ते बहुत मायने रखते थे और उंन्होने जीवन भर रिश्तों की मर्यादा बनाये भी रखी और निभाई भी। अटल जी जीवन भर कुंवारे रहे मगर उंन्होने अपने कॉलेज के दिनों से ही सहपाठी रही राजकुमारी कौल के साथ जीवन भर दोस्ती का ऐसा रिश्ता निभाया जिसका कोई दूसरा उदाहरण नही है।
प्रधानमंत्री बनने से पहले अटल जी किसकी अस्थियां लेकर आये थे हरिद्वार–
अटल बिहारी वाजपेयी तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे । साल 1996 में पहली बार वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने थे। उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ राजनीतिक गठबंधन को लेकर चर्चाएं चल रही थी। अटल जी गठबंधन के पक्ष में थे। बसपा के साथ गठबंधन को लेकर बंगलोर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में महत्वपूर्ण चर्चा होनी थी और बसपा के साथ गठबंधन हो या नही इसे लेकर प्रस्ताव पर मुहर लगनी थी। बंगलोर अधिवेशन के दूसरे दिन ही अटल जी अचानक ही हरिद्वार आ गए। दरअसल अटल जी अपनी सहपाठिनी  और दोस्त राजकुमारी के पति अपने खास पारिवारिक मित्र ब्रज मोहन नाथ कौल की अस्थियां लेकर हरिद्वार आये थे। ब्रज मोहन नाथ कौल अटल जी की सहपाठी और दोस्त राजकुमारी कौल के पति और अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के पिता थे। अविवाहित अटल जी के लिए तो यही उनका परिवार था। ब्रज मोहन जी अपनी छोटी बेटी नम्रता के पास इलाज के लिए अमेरिका गए हुए थे। नम्रता डॉक्टर है और अमेरिका में ही रहती है नम्रता के पास बेहतर इलाज के गए थे और वंही उनकी मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के कुछ दिनों पहले ही वाजपेयी जी अमेरिका उनसे मिलने गए थे। मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां हरिद्वार लाई गई और वाजपेयी जी उनकी अस्थियों के साथ अधिवेशन छोड़ कर साथ आये थे। हर की पौड़ी पर गंगा में उनकी अस्थियां विसर्जित की थी। यह सवाल उस वक्त सबके जेहन में उभर रहा था कि राष्ट्रीय होने के बावजूद भी इतने महत्वपूर्ण अधिवेशन को छोड़कर अटल जी हरिद्वार क्यों आये ? इसका उत्तर हमे अस्थि विसर्जन के बाद खुद अटल जी से ही मिला था।
उन दिनों मैं दिल्ली से प्रकाशित एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक में हरिद्वार ब्यूरो हुआ करता था। मेरे साथ हमारे वरिष्ठ साथी राष्ट्रीय सहारा के ब्यूरो डॉक्टर रजनीकांत शुक्ला, यूनीवार्ता के देवेंद्र शर्मा और एक दो अन्य पत्रकार हर की पौड़ी पंहुचे और अस्थि विसर्जन के बाद हमने अटल जी को अभिवादन कर उनसे कुछ राजनीतिक मुद्दों पर बात करने का निवेदन किया। हमने उनसे कहा कि आप ऐसे गमगीन मौके पर आए है यह अवसर तो नही है राजनीतिक बात करने का मगर हम छोटे शहर के छोटे पत्रकार चाहते है कि आपके यंहा आने पर हमे कोई बड़ी खबर मिल जाये। अटल जी ने कुछ सेकेंड सोचा और बड़ी विनम्रता के साथ हमे गंगा सभा के दफ्तर में चलने के लिए कहा।
उंन्होने हमसे बसपा के साथ गठबंधन सहित कुछ अन्य विषयों पर महत्वपूर्ण बातें कही। इसके बाद उन्होंने अचानक ही उंन्होने मेरे हाथ से मेरी डायरी ली
 और उस पर कुछ लिखने लगे। डायरी में उंन्होने अपने अधिवेशन बीच मे छोड़कर आने का कारण लिखा था कि की वह किस लिए हरिद्वार आये है।
हरिद्वार आने की यह वजह लिखी थी अटल जी ने–
क्या रिश्ता था ब्रज मोहन जी के साथ अटल जी का-
अटल जी ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में ( अब लक्ष्मी बाई कॉलेज ) में पढ़ते थे जंहा उनकी सहपाठिनी थी राजकुमारी। वह उनकी अच्छी दोस्त भी थी। बाद में राजकुमारी का विवाह रामजस कॉलेज में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर ब्रज मोहन नाथ कौल के साथ हो गया था। मगर उनके अटल जी के साथ पारिवारिक रिश्ते वैसे ही बने रहे। राजकुमारी और अटल जी के पारिवारिक संबंध 40 वर्षों से भी अधिक तक रहे है। अटल जी काफी समय ब्रज मोहन जी के रामजस कॉलेज परिसर स्थित मकान में साथ ही रहे। प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्रज मोहन और राजकुमारी अपनी बेटियों के साथ प्रधानमंत्री आवास में ही साथ रहने लगे। अटल जी ने 70 के दशक में ही राजकुमारी की बड़ी बेटी नमिता को गोद ले लिया था और उनका विवाह रंजन भट्टाचार्य के साथ हुआ था। सब लोग नामित को अटल जी की बेटी और रंजन को उनका दामाद ही कहती रही। ब्रज मोहन जी की मृत्यु के बाद  अटल जी आधिकारिक रूप से दोनों बेटियों के संरक्षक और अभिभावक बन गए थे। राजकुमारी और उनकी बेटियों ने ही अटल जी की जीवन भर सेवा की। राजकुमारी कौल ने जिस तरह से अटल जी की उम्रभर सेवा की उस तरह से शायद ही कोई दूसरा उनकी सेवा कर सकता। वह हमेशा अटल जी के साथ रही। साल 2014 में राजकुमारी की मृत्यु हो गई । उसके बाद से अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता ही अटल जी की सेवा करती रही।
Front Page Bureau

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