हरक की कांग्रेस में वापसी की सबसे सच्ची इनसाइड स्टोरी

भाजपा से बाहर निकले जाने के बाद कांग्रेस के दर पर माथा टेक रहे हरक सिंह रावत की मुराद पूरी होने में चुनावी मौसम में भी 5 दिन लग गए। इन 5 दिनों में हरक ने कांग्रेस में शामिल होने के लिए हर जतन किया मगर हरक द्वारा अपनी सरकार गिराने की टीस पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के दिल मे जख्म बनकर उभर आई थी और हरीश रावत उन्हें कांग्रेस में लेने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन हुए थे। यही नही सूत्र तो यह भी बताते है कि हरक को कांग्रेस में शामिल कराने की एवज में हरीश ने एक बहुत ” बड़ी मांग “ हरक के सामने रखी हुई थी जिसे पूरी करने को हरक तैयार नही थे। यही बड़ी मांग उनके कांग्रेस में शामिल होने में रोड़ा बनी हुई थी।

उधर कांग्रेस में शामिल होने की लगातार कोशिशों में लगे हरक ने भाजपा में वापसी के लिए भी बात चला रखी थी। सूत्र बताते है कि भाजपा में माफी मांगने और टिकट की कोई डिमांड नही करने जैसी कुछ शर्तों पर भाजपा के एक बड़े कद्दावर ठाकुर नेता, केंद्रीय मंत्री की मार्फत उनकी भाजपा में वापसी की जमीन भी तैयार हो गई थी। कल देर रात तक हरक की भाजपा में वापसी लगभग तय मानी जा रही थी और आज शाम को उनकी वापसी भी हो जाती। मगर कांग्रेस को उनके वापस भाजपा में जाने की भनक लगते ही कांग्रेस का एक गुट सक्रिय हुआ और 10 जनपथ में हरक की वापसी के लिए मैडम को समझाया गया, फिर राहुल गांधी और प्रियंका से देर रात तक इस बारे में विचार विमर्श चला। बताया जा रहा है कि इस सब की दोपहर तक हरीश रावत को भनक तक नही लगने दी गई। दोपहर करीब 12 बजे के आसपास हरक की वापसी पर 10 जनपथ की हरी झंडी मिलने के बाद हरीश रावत को इस बारे में सूचित किया गया तो हरीश रावत ने इस पर पहले तो एतराज जताया। बाद में हरीश रावत की बात को भी रखने के लिए हरीश रावत के कहने पर हरक सिंह से एक “माफीनामा” लिखवाया गया। उधर 10 जनपथ के आदेश के आगे हरीश ने घुटने टेक दिए। उधर हरक ने भी वापसी की बात बनती देख माफीनामा लिख कर दे दिया। इसके बाद दोपहर करीब दो बजे हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल करने के लिए दोपहर साढ़े तीन बजे का समय तय कर लिया गया। इसी बीच बताया जा रहा है कि हरक और उनके खास आदमियों के पास भाजपा में उन्हें शामिल करने में जुटे लोगो के भी फ़ोन आते रहे और उन्हें बताया गया कि भाजपा में भी बात लगभग बन गयी है मगर तब तक देर हो चुकी थी और हरक के लिए कांग्रेस में वापसी के लिए दरवाजे खोल दिए जाने का समय दोपहर साढ़े तीन बजे का तय हो चुका था। जिस पर आखिरकार उन्हें कांग्रेस में फिर से एंट्री मिल पाई।

अब हरक ने कांग्रेस को जो माफीनामा लिख कर दिया है उस पर भी जरा गौर फरमा लीजिए –

हरक ने पत्र की शुरुआत में ही लिखा कि भाजपा नेताओं ने 2014 लोकसभा चुनावों में जनता से बहुत बड़े-2 वायदे कर “अच्छे दिनों” के सपने दिखाए। जनता से भाजपा ने वायदे किए थे कि महंगाई कम होगी, युवाओं को रोजगार मिलेगा, विदेशों से काला धन लाकर हर व्यक्ति को 15-15 लाख देंगे आदि-२ | हमें व उत्तराखण्ड की महान जनता को भरोसा दिलाया कि डबल इंजन की सरकार बनने पर ये तमाम किए गए वायदों के साथ “पहाड़ों की जवानी व पहाड़ों का पानी” बर्बाद न होने देने का वायदा भी इन वायदों की इस सूची में जोड़ दिया।

यही नही हरक ने पत्र के आगे लिखा है कि “इन वायदों से मुझे उम्मीद जगी थी कि उत्तराखण्ड में पलायन की समस्या, बेरोजगारी व शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी दूर करने में केंद्र सरकार से विशेष सहायता मिलेगी। भाजपा नेताओं ने 2016 में भी मुझे भरोसा दिलाया था कि उत्तराखण्ड में भाजपा सरकार बनने पर तमाम समस्याओं को सुलझाने में केंद्र सरकार से विशेष सहायता मिलेगी। यही वायदे दोबारा 2017 के विधानसभा चुनावों में भी दोहराए गए। 2017 चुनावों में भाजपा सरकार बनने पर मैं इन वायदों को पूरा करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं से बार-२ आग्रह करता रहा जिसे हर बार यह कहकर टालते रहे कि विचार-विमर्श चल रहा है।

सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर भी ये तमाम वायदे पूरे नहीं हुए और ये वायदे सिर्फ “जुमले” साबित हुए। भाजपा के मुख्यमंत्री बदलने से उम्मीद जगती थी जो कुछ समय में धूमिल हो जाती गई। सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के समय भी मैंने बार-२ भाजपा नेताओं को आगाह किया कि चुनावी वायदों को पूरा करो लेकिन जब कोई सकरात्मक कार्यवाही नहीं हुई तो अंततः मैंने भाजपा को छोड़ने का फैसला ले लिया। आज मैं जब पूर्व की घटनाओं का अवलोकन कर रहा हूँ और भाजपा व पूर्व कांग्रेस सरकार का तुलनात्मक अध्ययन कर रहा हूँ तो इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उत्तराखण्ड की समस्याओं को सुलझाने व उत्तराखण्ड के चहुंमुखी विकास में कांग्रेस की सरकारों का बेहतरीन योगदान रहा है।

पौने पांच साल से ज्यादा तक सत्ता का लुफ्त उठाने वाले हरक सिंह रावत को अचानक आज कांग्रेस मे वापसी के बाद यह दिव्यज्ञान प्राप्त हुआ । इतने समय बाद उन्हें तमाम शिकायतें याद आ गयी और भाजपा सरकार की कमियों के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ तो वह इसके लिए उत्तराखंड की जनता से माफी मांगने लगे। इसके बावजूद भी भाजपा से निकाले जाने के बाद भी भाजपा में वापसी की 20 जनवरी की देर रात तक भी कोशिश करते रहे हरक सिंह को अचानक ही  लगने लगा कि  “पूर्व की इन घटनाओं के अवलोकन से ऐसा महशूस होता है कि कांग्रेस छोड़ने का फ़ैसला मेरे राजनैतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल थी”  जिसके लिए मैं कांग्रेस के तमाम कार्यकर्ताओं व नेताओं तथा उत्तराखण्ड की महान जनता से क्षमायाचना करता हूँ। उत्तराखण्ड के विकास में श्री हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के आगे भाजपा सरकार दूर-२ तक भी कहीं मुकाबला नहीं कर पाई। जनता से झूठे वायदे कर ठगने वाली व लोकतंत्र को अपमानित करने वाली भाजपा ने आगामी चुनावों में वोट मांगने का नैतिक अधिकार भी खो दिया है। आज मुझे अहसास हुआ कि उत्तराखण्ड का तभी भला होगा जब उत्तराखण्ड में पूर्ण बहुमत की स्थिर सरकार बनेगी। इसीलिए मैं कांग्रेस सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत से प्रयास करूँगा ताकि जो सपने उत्तराखण्ड बनाने वाले आंदोलनकारियों ने देखे थे वो पूरा हो सकें।

अब आप हरक के पत्र की इन दो अंतिम लाइनों पर भी गौर फरमाएं-

“2016 में भाजपा ने कांग्रेस सरकार को अस्थिर कर अपनी सरकार बनाने के लिए कांग्रेस विधायकों दुरुपयोग किया और लोकतंत्रात्मक तरीकों को तार-2 कर दिया था।”

यानी हरक ने आज यह भी माना कि भाजपा में उनका कांग्रेस सरकार गिराने में दुरुपयोग किया। अब सवाल उठता है कि क्या हरक इतने भोले राजनेता है कि कोई भी उनका इस्तेमाल कर सकता है। बहरहाल कुछ भी हो हरक को 5 दिन एड़िया रगड़ने के बाद आखिर कांग्रेस में एंट्री तो मिल गयी मगर अब यह देखना होगा कि कांग्रेस को लेकर उन्हें अब कब दिव्यज्ञान की प्राप्ति होती है।

Front Page Bureau

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