हरिद्वार। शारदीय कांवड़ मेला चरम पर पंहुच चुका है। रोजाना हजारों शिवभक्त कांवड़िए गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार पंहुच रहे है। मगर कांवड़ यात्रा बदइंतजामी का शिकार है। कांवड़ियों की सबसे ज्यादा भीड़ हरिद्वार बिजनौर राष्ट्रीय राजमार्ग की ओर से आ रही है। मगर इस पूरे मार्ग पर कांवड़ियों के लिए कोई इंतेजाम नही है। सैकड़ो किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा कर कांवड़िए जल लेने आ रहे है और पैदल ही जल लेकर अपनी यात्रा पूरी करते है। पूरे राष्ट्रीय राजमार्ग पर दूर दूर तक ना तो बिजली का इंतजाम है और ना ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था है।
ज्यादातर रात में करते है कांवड़िए वापसी की पैदल यात्रा
रात के वक्त राजमार्ग पर बड़ी संख्या में कांवड़िये चलते है और रात के वक्त ही राजमार्ग पर भारी वाहनों का भी काफिला चलता रहता है। ऐसे में अंधेरा होने की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। वैसे भी इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर अक्सर हादसे होते रहते है।
यही नही नजीबाबाद के बाद राजमार्ग पर करीब 15 से 20 किलोमीटर तक दोनों और वन क्षेत्र पड़ता है और अक्सर हाथी, गुलदार वन क्षेत्रों से निकल कर राजमार्ग पर आ जाते है। जंगली जानवरों का भी यंहा बड़ा खतरा हमेशा बना रहता है। कांवड़ियों को कई कई किलोमीटर घने अंधेरे में यात्रा करनी पड़ रही है। बदहाली का आलम तो यंहा तक है कि कई किलामीटर तक कांवड़ियों को पीने का पानी तक नसीब नही हो रहा है और उन्हें बोतल का महंगा पानी खरीद कर प्यास बुझानी पड़ रही है। बिजनौर मार्ग पर रास्ते मे खाने पीने के लिए भी मनमाने दाम कांवड़ियों को चुकाने पड़ रहे है।
कांवड़ यात्रा में बदहाली का आलम हरिद्वार दिल्ली, हरिद्वार सहारनपुर राजमार्ग पर भी है। कांवड़ियों के लिए किसी भी तरह की कोई व्यवस्था करने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम है। कांवड़िये भोले के भरोसे अपनी यात्रा पूरी कर रहे है।