पिछले 20 सालों से एक किसान परिवार इंसाफ की गुहार लगा रहा है मगर भूमाफियाओं और सरकारी अफसरों कर्मियों की मिलीभगत से इंसाफ पाने के लिए दर-दर की ठाकरे खानी पड़ी रही है। जब प्रशासन से इंसाफ की आस खत्म होने लगी तो मजबूरन इस परिवार को अनशन का रास्ता चुनना पड़ा। आज पीड़ित परिवार तहसील परिसर में अनशन पर बैठ गया।
सरकारी अमले की हालत यह है कि अदालत के आदेश के बाद भी तहसील प्रशासन पीड़ित की नही सुन रहा है और भूमाफियाओं को संरक्षण दे रखा है।पीड़ित परिवार जब आज तहसील परिसर में धरने पर बैठ गया तो तहसीलदार कार्यदिवस होने के बावजूद भी अपने कार्यालय में ताला लगाकर चली गयी। पीड़ित की मांग है कि गलत तरीके से कागजो में हेराफेरी करके उसकी कब्जे गई जमीन उसे वापस दिलाई जाए।
अपने परिवार के साथ धरने पर बैठे राजेश का आरोप है की साल 1997 में तत्कालीन तहसीलदार और भू माफियाओं ने उसके पिता को मृत दर्शाकर उनकी तीन बीघा जमीन 1997 में पहले उनके ताऊ के नाम की,उसके बाद वो जमीन उन्होंने भूमाफिया को दे दी। राजेश का आरोप है कि इस पूरे मामले में तहसील अधिकारियों की मिलीभगत है। उंन्होने कहा कि लगातार विभागों के चक्कर काटने और सभी को पत्राचार के बावजूद कही मेरी कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं। उंन्होने कहा कि कोर्ट ने भी जांच के बाद मेरे पक्ष में फैसला सुनाया हैं बावजूद इसके कही कोई इंसाफ नहीं मिल रहा हैं।उंन्होने कहा कि इसी वजह से आज हमें धरने पर बैठना पड़ा।
इस पूरे मामले पर जिले के प्रशासनिक अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं। तहसीलदार तो कार्यदिवस होने के बावजूद दफ्तर में ताला लगवाकर चली गई और लगातार संपर्क करने के बाद भी कोई अधिकारी जवाब देने को तैयार नहीं हैं।