हरिद्वार में फिर से आयोजित की जाएगी धर्मसंसद, सनातन के इतिहास की सबसे विशाल धर्म संसद करने का दावा

हरिद्वार। अभी तक दिसम्बर में आयोजित की गई धर्मसंसद में हेट स्पीच का मामला पूरी तरह ठंडा भी नही पड़ा है कि स्वामी यति नरसिंघानन्द ने हरिद्वार में ही एक और धर्म संसद का आयोजन करने का एलान कर दिया। यह धर्मसंसद शंकराचार्य जयंती के अवसर पर आयोजित की जाएगी। दिसम्बर में आयोजित की गई धर्मसंसद में साधु संतों पर हेट स्पीच दिए जाने के आरोप लगे थे जिसमें दर्ज मुकदमो के बाद मुस्लिम से हिन्दू बने जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी और स्वामी यति नरसिंघानन्द को गिरफ्तार किया गया था। स्वामी नरसिंघानन्द की तो जमानत मिलने कब बाद रिहाई हो गई थी मगर जितेंद्र नारायण को अभी तक जमानत भी नही मिल पाई है।

जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई की प्रतीक्षा में सर्वानंद घाट पर बैठे महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी और स्वामी अमृतानंद महाराज ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के विश्व के सबसे बड़े संगठन जमीयते उलमाए हिन्द के आतंकवादियों का मुकदमा लड़ने की बात को दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुँचाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने साथियों से परामर्श करके इस बार की शंकराचार्य जयंती पर हरिद्वार में सनातन के इतिहास का सबसे बड़ा धर्मसंसद आयोजित करने का निर्णय लिया।

 

जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई को लेकर हरिद्वार में धरने पर बैठे स्वामी यति नरसिंघानन्द एवम अन्य संतगण
जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई को लेकर हरिद्वार में धरने पर बैठे स्वामी यति नरसिंघानन्द एवम अन्य संतगण

आज हिमाचल प्रदेश धर्म संसद के मुख्य आयोजक योगी ज्ञाननाथ व यति सत्यदेवानंद भी जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की प्रतीक्षा में सर्वानन्द घाट पर आकर डट गए हैं।

आदिगुरु शंकराचार्य की जयंती पर अयोजित होने वाली धर्म संसद के विषय मे बताते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने बताया कि आज हिन्दू समाज मे सबसे बड़ा संशय इस बात को लेकर है कि सन्तो की समाज की रक्षा में कोई भूमिका है भी या नहीं। इस देश मे यदि मुसलमानों के साथ अगर कुछ गलत होता है तो उनके मौलाना मस्जिदों और मदरसों से उनके लिये लड़ाई लड़ते हैं। ईसाईयो के साथ कुछ होता है तो उनके पादरी चर्चो से उनके लिये लड़ते हैं। सिक्खों के साथ कुछ होता है तो उनके ग्रन्थी गुरुद्वारों से उनके लिये लड़ते हैं। बौद्धों के अस्तित्व की लड़ाई उनके मठों से बौद्ध भिक्षु लड़ते हैं। परंतु हिन्दुओ पर चाहे कितना ही अत्याचार क्यो ना हो,उनका कोई धर्मगुरु उनका साथ नहीं देता और ना ही उनके लिये कोई आवाज उठाता है। ऐसे में हिन्दू जाए तो जाए कहाँ?

उन्होंने यह भी कहा कि सभी जानते हैं कि भारत में जितनी भी आतंकवादी घटना होती हैं, उसके शामिल सभी आतंकवादियों के मुकदमे जमीयते उलमाए हिन्द लड़ती है। फिर भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुत सारे तथाकथित सनातन के धर्मगुरु उनको अपने मंचो पर बुलाकर सनातन धर्म और हिन्दुओ के साथ विश्वासघात करते हैं। ये लोग हिन्दुओ के पक्ष में उठने वाली हर आवाज को अधार्मिक बता कर दबा देते हैं। ऐसे में हिन्दू समाज दिशाविहीन होकर कभी भी हिन्दुओ पर हो रहे अत्याचारों का विरोध नहीं कर पा रहा है और धीरे धीरे सर्वनाश की ओर बढ़ रहा है।सनातन के महाविनाश के इन क्षणों में आज हिन्दुओ का यह संशय दूर होना ही चाहिये। इस बार का धर्म संसद इसी विषय को लेकर आयोजित किया जाएगा जिसमें सनातन सभी जगदगुरुओ, तेरह अखाड़ों के प्रमुखों सहित सनातन के प्रमुख धर्मगुरुओं को निमंत्रण दिया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि स्वामी अमृतानंद धर्म संसद के मुख्य संयोजक होंगे जो पूरे देश मे जाकर सन्तो को धर्म संसद के लिये निमन्त्रित करेंगे।

स्वामी अमृतानंद ने बताया कि आज सनातन धर्म और हिन्दू समाज के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लग चुका है।आज हिन्दुओ के पास न तो कोई ऐसा प्रामाणिक धर्मगुरु है जो उनके लिये लड़ता हो और न ही कोई राजनैतिक नेता है।जितने भी तथाकथित हिन्दू संगठन हैं,वो भी केवल अपने क्षुद्र स्वार्थों के लिये कार्य करते हैं।ऐसे में हिन्दुओ की स्थिति अनाथ जैसी हो चुकी है।ऐसी परिस्थितियों में हिन्दू समाज को अपने धर्मगुरुओं की ओर देखना चाहिये या नहीं, यह तय होना आज बहुत जरूरी हो चुका है।यह धर्म संसद इस यक्ष प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए ही आयोजित की जा रही है।

इस धर्म संसद में भारत वर्ष के सभी प्रमुख हिंदूवादी कार्यकर्ताओ से भी भाग लेने का आग्रह किया जाएगा।

 

Front Page Bureau

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