उत्तराखण्ड
एक बार फिर से धधक रहे है उत्तराखंड के जंगल। उत्तराखंड के जंगलो में आग से मचा हुआ है हाहाकार। हरिद्वार से लेकर उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ के जंगल सुलग रहे है। करोड़ो रूपये की वन सम्पदा जलकर खाक हो रही है और उत्तराखंड के खूबसूरत और शांत वादियों का सुरम्य प्रदूषण रहित वातावरण हो चला है दम घोंटू। हजारों जंगली जानवरों का जीवन आग से संकट में पड़ा हुआ है।
बेकाबू होती जा रही है उत्तराखंड के जंगलों की आग। मगर लग रहा है कि उत्तराखंड सरकार अभी तक आग को बुझाने लेकर गंभीर नही है। सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है और आग बुझाने का जिम्मा लगता है वह विभाग और स्थानीय प्रशासन के जिम्मे छोड़ा हुआ है जिसकी वजह से आग बुझाने के लिए उपलब्ध संसाधन नाकाफी साबित हो रहे है और जंगल मे।आग बुझाने के परंपरागत साधन काम नही आ रहे है। राज्य के बड़े हिस्से के जंगल आग की चपेट में है। राज्य भर में करीब 2 दर्जन जगह पर आग लगी हुई है।
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आग से सबसे ज्यादा प्रभावित गढ़वाल में टिहरी, उत्तरकाशी, चकराता, ख़िरसु ,चंबा, कोटद्वार, सतपुली, श्रीनगर, कुमाऊं में हल्द्वानी और बागेश्वर के जंगल है। हरिद्वार में मनसा देवी पर्वतमाला सुलग रही है। श्रीनगर जंगलो में आग तांडव मचा रही है। आग के रिहायशी इलाकों तक फैलने का अंदेशा है। श्रीनगर के श्रीकोट इलाके में तो आग मेडिकल कॉलेज के पास तक पंहुच गई है। कॉलेज के छात्रावास के पीछे तक जंगल की आग पंहुच गई है। जिससे स्थानीय निवासियों सहित छात्रों में भय का माहौल है।
इसी तरह आग हल्द्वानी ओर बागेश्वर में भी बेकाबू होती जा रही है। आग की वजह से बिजली और मोबाइल के टावरों को भी बहुत नुकसान हो रहा है। मोबाइल नेटवर्क ओर बिजली जंगल से सटे इलाको में ठप्प पड़ गई है। कोटद्वार सतपुली मार्ग पर वादियों में जगह जगह केवल धुआं ही धुआं नजर आ रहा है । जिससे इस इलाके का वातावरण दम घोंटू हो गया है। यही हाल चार धाम यात्रा मार्ग का है जंहा रास्ते मे वादियों वाले इलाके में धुंए की वजह से प्रदूषण बढ़ गया है और चार धाम यात्रियों को खासी मुश्किल हो रही है।
हरिद्वार में कल रात से मनसा देवी के जंगलों में लगी आग बढ़ती जा रही है।
तेज़ धूप ओर तपती गर्मी से आग का दायरा ओर बढ़ रहा है । हरिद्वार के जंगलों में पिछले 3 दिनों से अलग-अलग जगहों पर आग लगने की घटना हो रही है । लेकिन मनसा देवी की पहाड़ियों पर लगी आग के बाद चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल हो गया है। वन विभाग आग बुझाने की कोशिशों में जुट हुआ है मगर आग कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस फायर सीजन में अभी तक साढ़े छह सौ से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हो चुकी है जिसमे 11 सौ हेक्टेयर से ज्यादा जंगल खाक हो चुके है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अभी तक जंगल मे आग लगने से 19 लाख रुपये से अधिक की वन संपदा राख हो चुकी है।
हालात बेकाबू होते जा रहे है और यदि सरकार ने इस और गंभीरता के साथ जंगल की आग बुझाने के लेकर कदम नही उठाये ओर सरकार मानसून आने का इंतेजार करती रही तो जल्द ही पूरे उत्तराखंड के जंगल आग की लपटों से घिरे होंगे। राज्य सरकार को चाहिए कि वो उत्तराखंड के जंगलों की बेकाबू होती जा रही आग को बुझाने के लिए केंद्र सरकार से मदद की मांग करें।