मुस्लिम परिवार की “खान” बहू पर प्रेत का साया,खौफ से सहमा परिवार पंहुचा हिन्दू पंडितों की शरण मे हरिद्वार ,कराया पिंड दान, श्राद्ध तर्पण
किसी मुस्लिम को पिंड दान हवन तर्पण करते हुए शायद आपने न कभी सुना होगा हुए न ही कभी देखा होगा। मगर आज हरिद्वार में सबसे बड़े पितृ मुक्ति तीर्थ पर एक मुस्लिम परिवार पितृ ऋण मुक्ति पाने के लिए पंहुचा और यंहा उन्होंने पितृ पूजा, पिंड दान और हवन तर्पण कराया।
देश विदेश से हरिद्वार में हिन्दू पितृ कर्म कराने के लिए नारायणी शिला आते है। नारायणी शिला को पितृ ऋण मुक्ति का तीर्थ माना जाता है। मगर इस हिन्दू तीर्थ पर आज एक मुस्लिम परिवार प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए नारायणी शिला पर पितृ पूजा करने आया। इस मुस्लिम परिवार की एक महिला पर प्रेत का साया बताया गया था और इन्हे हरिद्वार में नारायणी शिला पर पितृ पूजा करने की सलाह दी गयी थी। यह परिवार हिमाचल प्रदेश से आया था।
देखें परिवार ने किस तरह की प्रेत निवारण पूजा अर्चना
नारायणी शिला मंदिर के प्रमुख पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया की हिमाचल प्रदेश से एक परिवार यंहा पर पितृ पूजा कराने आया था। उन्होंने बताया की उनके साथ आये उत्तराखंड के एक पंडित ने उन्हें यंहा पर पितृ पूजा करने को कहा था। इस परिवार के साथ आये युवक अनूप ठाकुर ने बताया की मेरी साली हिन्दू है और उसने सिरमौर के एक मुस्लिम युवक से विवाह किया है। मुस्लिम परिवार में शादी करने के बाद इस लड़की ने नाम बदलकर परवीन खान रख लिया था। उसके जीजा अनूप ठाकुर ने बताया की प्रवीण खान शादी के बाद से ही काफी परेशान और बीमार रहा करती थी। हमारे पारिवारिक पुरोहित ने उस प्रेत का साया बताया और हरिद्वार में नारायणी शिला पर पितृ पूजा और पिंड दान करने को कहा इसलिए वह यंहा आये है। प्रवीण के साथ उसके पति और अन्य ससुराल वाले भी यंहा आये थे और प्रवीण और उसके पति दोनों ने परिवार सहित पुरे विधि विधान के साथ पितृ पूजा, हवन आदि कराया। प्रवीण ने अपने पति के साथ पिंड दान और तर्पण भी किया। परिवार का कहना है की यहां पर आकर पूजा करने से काफी आराम महसूस कर रहे है।
क्यों माना जाता है नारायणी शिला को मुक्ति का तीर्थ
देश में केवल 3 स्थान ही ऐसे है जहाँ पिँङ दान व श्राद्ध तर्पण कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इनमें से पहला स्थान गया जी, है जबकि दूसरा स्थान हरिद्वार का नारायणी शिला और तीसरा बदरीनाथ में ब्रह्मकपाली माना गया है। नारायणी शिला पर पितृ दोष के निवारण के लिए लोग दूर दूर से पिँङ दान कराने आते है। पुराणों के अनुसार हरिद्वार में भगवान विष्णु के शरीर का वक्ष स्थल गिरा था जो नारायणी शिला के रूप में यंहा पर विध्यमान है। जिसे प्रेत शिला भी कहा जाता है। दूर दूर से लोग यहाँ आते है अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए, उनकी आत्मा की शांति के लिए कर्मकाँङ करवाने आते है। गया में भगवान विष्णु के चरण गिरे थे, जबकि हरिद्वार में उनका वक्ष गिरा था। इसके अलावा बदरीनाथ में उनका सिर वाला हिस्सा गिरा था जिस वजह से इस स्थान को कपालबली कहते है। इन तीनों स्थानो पर पँङदान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों को मोक्ष।