हरिद्वार 27 मार्च।
7 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म किए जाने के प्रयास में असफल होने पर उसकी हत्या करने वाले अभियुक्त को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अपर सत्र न्यायाधीश अर्चना सागर ने 55 हजार रुपए के जुर्माने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जबकि एक अन्य अभियुक्त को सबूत मिटाने का आरोप सिद्ध होने पर 10 हजार रूपए के जुर्माने के साथ 7 वर्ष की कठोर कैद की सजा सुनाई।
मामले से संबंधित मुकदमे में वादी पक्ष की ओर से 13 गवाहों के बयान कराए गए दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने छोटू को 7 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने एवं असफल रहने पर उसकी हत्या करने का दोषी पाया, जबकि दूसरे आरोपी पैगाम रसूल घटना की सबूत मिटाने का दोषी पाया।
शासकीय अधिवक्ता कुशल पाल सिंह चौहान एवं आदेश चौहान ने बताया कि 15 अप्रैल 2015 को मृतक बालिका के पिता ने सिडकुल थाने में एक तहरीर दी थी, जिसमें उसने कहा था कि वह सिडकुल स्थित हेमा कंपनी के निकट मकान में किराए पर रहता है दोपहर में उसे सूचना मिली थी कि उसकी 7 वर्षीय पुत्री को किसी ने मार दिया है। इस पर जब वह अपने घर पर पहुंचा तो उसे अपनी पुत्री की लाश मिली जिसकी गला काट कर हत्या की गई थी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जांच के दौरान पुलिस ने पाया था कि आरोपी छोटू पुत्र राजाराम मूल निवासी मैगलगंज लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश हाल निवासी दादूपुर रानीपुर हरिद्वार रिपोर्ट कर्ता के कमरे में उसकी 7 वर्षीय लड़की को अकेला देख घुस गया था और बालिका के साथ दुष्कर्म करना चाहा लेकिन असफल होने पर उसने दराती से गला काटकर उसकी हत्या कर दी थी। और अपनी खून में सनी हुई कमीज एक अन्य आरोपी पैगाम रसूल पुत्र फरमान अली निवासी खाता खेड़ी मंडी सहारनपुर हाल निवासी सलेमपुर रानीपुर हरिद्वार के गोदाम में छुपा दी थी पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था