आयुर्वेद के एक युग का अवसान, जाने माने आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर ज्ञानेंद्र पाण्डेय का निधन

हरिद्वार, 1 सितम्बर। आयुर्वेद के जाने माने विशेषज्ञ डॉक्टर ज्ञानेंद्र पांडे अब दुनिया मे नहीं रहे। 21 अगस्त को ऋषिकेश के एम्स में उनका निधन हो गया था। उनके निधन पर देश भर के आयुर्वेद से जुड़े लोगो मे शोक की लहर है। देश दुनिया से उनको श्रद्धांसुमन अर्पित किये जा रहे है। शुक्रवार 2 सितम्बर को हरिद्वार में उनकी याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन आर्यनगर के स्वागत बैंकट हाल मे रखा गया है। श्रद्धांजलि सभा दोपहर 3 बजे होंगी।

आयुर्वेद जड़ी बूटी के जाने-माने विशेषज्ञ डॉ ज्ञानेंद्र पांडे ने लंबी बीमारी के बाद ऋषिकेश एम्स में अंतिम सांस ली थी।  हरिद्वार के रहने वाले ज्ञानेंद्र पांडे गुजरात आयुर्वेद विश्विद्यालय मे प्रोफ़ेसर रहे है। उन्हें आयुर्वेद और जड़ी बूटी की किताबों को लिखने में महारत हासिल थी राष्ट्रपति से लेकर देश की कई बड़ी हस्तियों ने कई बार उनकी किताबों का विमोचन भी किया। डॉक्टर ज्ञानेंद्र पांडे ने अपने जीवन में 75 से अधिक आयुर्वेद और जड़ी बतियों पर किताबें लिखी हैं। उनकी किताबें आज देश के कई बड़े संस्थानों में छात्रों को पढ़ाई भी जा रही हैं। उन्होंने आयुर्वेद अनुसंधान एवं आयुर्वेद शिक्षा विभाग में लगभग 40 वर्षों तक कार्य किया। सीसीआरएस आयुष में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के लिए उन्होंने कई रिसर्च प्रोजेक्ट भी किये जिन्हे काफी सराहना मिली। आयुर्वेद शिक्षा में अभूतपूर्व कार्य करने के लिए उन्हें गुजरात में आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमेरिटस की उपाधि से भी उन्हें नवाजा गया था। उनका जन्म 20 जनवरी 1943 मैं उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ था हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी के वह पूर्व के छात्र भी रहे हैं। उन्हें आयुर्वेदिक जड़ी बूटी का पितामह भी कहा जाता था।

 

 

 

Front Page Bureau

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