वैदिक कालीन मिश्रपुर गांव में होली की होती है विधि विधान से पूजा, समाज के हर वर्ग को जोड़ने का पर्व है होली

हरिद्वार 17 मार्च

हरिद्वार के मिश्रपुर गांव में होली का पूजन गांव के लोगों ने बड़ी संख्या में विधि विधान के साथ किया इस अवसर पर महिलाओं ने अपने पति ,बच्चों और घर के बुजुर्गों के साथ होली का पूजन किया बच्चों को फलों और मखानो की माला पहनाई होलिका की अक्षत रोली से पूजा की, गुलाल चढ़ाया, रंग चढ़ाया, साड़ी चढ़ाई और घर में बने हुए आटे के मीठे पुड़े, मिठाई चढ़ाई ,फल चढ़ाए और जो पूजा सामग्री और प्रसाद होलिका में चढ़ाया गया उसे प्रसाद के रूप में ब्राह्मण और समाज के दलित कमजोर वर्गों को दान स्वरूप भेंट किया गया

इस तरह से होली सौहार्द का प्रतीक है यह बात मिश्रपुर के गांव में जब लोग होलिका का पूजन करने आए तो सामने आई गांव के रहने वाले उपाध्याय एडवोकेट ने बताया कि होली का त्यौहार ऐसा है जिसमें सामाजिक समरसता होती है और समाज का हर वर्ग मिलजुल कर यह त्यौहार मनाता है

मिश्र पुर गांव की रहने वाली मार्शल आर्ट की राष्ट्रीय कोच आरती सैनी ने सपरिवार होलिका की पूजा करते हुए कहा कि समाज के हर वर्गों का उनकी जरूरत के हिसाब से ध्यान रखा जाता है और दान पुण्य किया जाता है

गांव की रहने वाली एमबीए की छात्रा इशिका शर्मा ने बताया कि होली का त्यौहार सामाजिक समरसता का त्यौहार है और गांव के हर वर्ग को आपस में जोड़ता है मिश्रपुर गांव वह गांव है जहां पर राजा दक्ष द्वारा कराए गए यज्ञ के समय दक्षिण भारत से आए कर्मकांडी वैदिक ब्राह्मण समुदाय ने निवास किया था और यहां पर कई वर्षों तक कई धार्मिक अनुष्ठान गंगा के पावन तट पर किए थे और उन्होंने राजा दक्ष का यज्ञ संपन्न कराया था यह गांव पौराणिक महत्व वाला है जिसकी गिनती वैदिक कालीन सभ्यता से पंच पुरियों में होती है

Front Page Bureau

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