सिंचाई विभाग का सहायक अभियंता जिसके आगे सीएम से लेकर डीएम तक सभी है बौने।

हरिद्वार.
उत्तराखंड सिंचाई विभाग की हरिद्वार इकाई में तैनात सिविल सहायक अभियंता निर्देश कुमार अपनी कार्यप्रणाली के चलते विवादों के घेरे में आ गए हैं। भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दावे को इस अधिकारी के कारनामे धत्ता बता रहे है। यही नही निर्देश कुमार के मामले में राज्य सरकार की तबादला नीति का खुला मखौल उड़ाया जा रहा है। मुख्यमंत्री से लेकर सिंचाई मंत्री तक इस अधिकारी के रुतबे के सामने बौने नजर आ रहे है। इन के काले कारनामों के किस्से आजकल खूब चर्चाओं में हैं।

उत्तराखंड में भाजपा सरकार के भ्रस्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस के दावों की उनके अफसर ही धज्जियां उड़ा रहे है। ऐसे ही एक अधिकारी है सिंचाई विभाग की हरिद्वार इकाई में तैनात सहायक अभियंता निर्देश कुमार जिनके भ्रस्टाचार के कारनामो पर पूरी किताब लिखी जा सकती है। मगर न तो राज्य सरकार के मुखिया ओर विभागीय मंत्री ओर न ही विभाग का कोई अधिकारी उसके खिलाफ कारवाई करने की हिम्मत जुटा पाता है। जानकारी के अनुसार पिछले कई सालों से हरिद्वार में ही जमे निर्देश कुमार का पिछले साल श्रीनगर तबादला कर दिया गया था। मगर उंन्होने श्रीनगर ज्वाइन करने के बजाय गुरुग्राम के एक बड़े हॉस्पिटल से अपनी किसी गंभीर बीमारी का मेडिकल सर्टिफिकेट लेकर विभाग को थमा दिया और नतीजा ये हुआ कि उसका तबादला रुक गया। मगर आश्चर्य की बात है कि गंभीर बीमारी होने की वजह से निर्देश कुमार भले ही हरद्वार से बाहर काम कर पाने में खुद को असमर्थ बता रहे है मगर हरिद्वार में वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें दो दो जगह पोस्टिंग दे रखी है। यानी यंहा बीमारी के बाद भी मलाईदार पदों पर काबिज होकर दुगना काम कर रहे है। हरिद्वार में अधीक्षण अभियंता के आफिस के साथ साथ अधिशाषी अभियंता के आफिस में भी तैनात है। अब आप खुद समझ सकते है कि निर्देश कुमार किस कदर अपने वरिष्ठ अधिकारियों का दुलारा और चहेता है


निर्देश कुमार के बारे में तबादले को लेकर विभागीय अधिकारियों की टिप्पणियों से यह साफ हो जाता है कि श्री निर्देश कितना शक्तिशाली है ओर उसके रुतबे के सामने अधिकारी किस कदर बेबस है। विदित हो कि नियम विरुद्ध स्थानांतरण के बावजूद दो दो जगह काबीज हैं और 2016 में संपन्न हुए अर्द्धकुंभ मेले के दौरान भी सारे विभागीय काम इसी की देखरेख में संपन्न करवाए गए। सूत्रों का कहना है कि साल 2016 के अर्ध कुम्भ मेले में हरिद्वार में करीब 3 करोड़ की लागत से 42 घाटों का निर्माण कराया गया था। सूत्र बताते है कि 42 में से ज्यादातर घाट केवल कागजो पर बनाये गए है.यही नहीं सूत्रों का कहना है की साल 2016 में ही डाम कोठी से भीमगोडा तक के एक दर्जन से ज्यादा पुलों की रंगाई पुताई के काम के करीब 12 लाख रुपये का भुगतान भी इन्होने काम करने वाले ठेकेदारों के बजाय किसी शिवकुमार नाम के व्यक्ति के नाम से भुगतान कर दिए गए। बताया जा रहा है कि शिवकुमार नाम का यह शख्स निर्देश कुमार का सहपाठी रहा है। जिन ठेकेदारों ने काम किया था वे ठेकेदार कमीशन देने के बाद भी काम के भुगतान के लिए तब से ही विभाग के चक्कर काट रहे है। बताया जाता है कि सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता दिनेश चंद्र का इन्हें वरदहस्त प्राप्त है और हर बार स्थानांतरण रोकने की सिफारिश भी इन्होंने ही की है।

वहीं दूसरी ओर एक विभागीय ठेकेदार ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि श्री निर्देश अब तक विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के चलते करोड़ों के वारे न्यारे कर चुका है तथा इसके काले कारनामों की अगर सही ढंग से जीरो टॉलरेंस की सरकार जांच करवाती है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ठेकेदार ने दावा किया कि अर्ध कुंभ मेले के दौरान कुछ कार्यों के भुगतान को लेकर भी निर्देश द्वारा जमकर कमीशन खाया गया जिसके सबूत होने का उंन्होने दावा किया है। इनके विभागीय जेई दीपक सैनी जो कि वर्तमान में श्रीनगर में पीएमजेएसवाई में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं का हस्तलिखित कमीशनखोरी का पर्चा भी उपलब्ध है। जिसकी किसी भी राइटिंग एक्सपर्ट से जांच भी करवाई जा सकती है। अर्ध कुम्भ के कामो के भुगतान के लिए परेशान ठेकेदार इस सहायक अभियंता के खिलाफ जांच कराये आने की मांग कर रहे है.विभागीय ठेकेदार ने कहा कि अगर सरकार निर्देश के काले कारनामों की उच्च स्तरीय जांच नहीं करवाती है, तो वह और अन्य पीड़ित ठेकेदार शीघ्र ही आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

Front Page Bureau

Front Page Bureau

This function has been disabled for Front Page Newz.