गढ़ मुक्तेश्वर, 23 मई। आज श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े में अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत स्वामी प्रेम गिरी जी महाराज के पावन सानिध्य में गढ़ मुक्तेश्वर क्षेत्र के षड्दर्शन संत समाज सेवा मंडल समिति के मुख्य कार्यालय के लोकार्पण के शुभ अवसर आयोजित संत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि हम संत हैं और हम अपना अंतिम संस्कार स्वयं करके सन्यासी बनते हैं।सनातन को मानने वाले हमारे चरण इसलिए छूते हैं कि वो हमें धरती पर भगवान महादेव शिव का प्रतिनिधि और सनातन धर्म का रक्षक समझते हैं।लोगो का यहीं विश्वास बनाये रखना हम सन्तो का सबसे पहला कर्त्तव्य है।इस कर्तव्य को पूरा करना हमारा धर्म है।इसीलिए हम सन्तो का सबसे प्रमुख कार्य सनातन धर्म की रक्षा के लिये मर मिटना है।
उन्होंने सभी सन्तो का आह्वान करते हुए कहा कि सभी सन्तो को अपने भक्तों और श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संतान पैदा करने को कहना चाहिये।हमें अपने भक्तों और श्रद्धालुओं को बताना ही चाहिये कि वो माता पिता नाग और नागिन के समान हैं जो एक बेटा पैदा करते हैं।ऐसे माता पिता अपनी संतान और कुल वंश के विनाश के दोषी होंगे।
संत सम्मेलन में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरी जी महाराज ने सन्तो को धर्म की रक्षा के लिये कार्य करने का आह्वान करते हुए कहा कि हम हिन्दू कभी भी किसी पर अत्याचार करना पसंद नही करते पर इसका अर्थ यह नही है कि कोई भी पर अत्याचार करने लगे।सनातन धर्म और सनातन संस्कृति शाश्वत है और सदैव रहेगी।संत समाज धर्म की रक्षा के लिये हर बलिदान के लिये तैयार है।
संत सम्मेलन को षड्दर्शन संत समाज सेवा मंडल समिति के अध्यक्ष श्रीमहंत जियानंद ब्रह्मचारी तथा महामंत्री महन्त त्रिवेणी गिरी जी महाराज ने भी सम्बोधित किया।संत सम्मेलन में दिल्ली गेट देवी मंदिर के श्रीमहंत गिरिशानंद गिरी जी,बजरंग गिरी जी सहित अनेक संत उपस्थित थे।
गढ़ मुक्तेश्वर के चेयरमैन राकेश बजरंगी तथा हापुड़ जिला परिषद की अध्यक्ष रेखा नागर सहित अनेक राजनेताओं ने भी संत सम्मेलन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर सन्तो का आशीर्वाद लिया।