“एक ही स्थान पर स्थित ब्रह्मांड की सर्वशक्तिमान चार देवियाँ , नवरात्रो में दर्शन करने से पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाएं “

संजय आर्य
हरिद्वार, 18 मार्च 2018

दुनिया भर में शक्ति का केंद्र पुराणों में वर्णित मायापुरी यानी हरिद्वार को माना जाता है। विश्व में यह पहला स्थान है जहा सिद्ध देवियो के तीन मंदिर एक ही स्थान पर है और ये मंदिर बनाते है शक्ति का त्रिकोण । इस त्रिकोण के केंद्र में है मां माया देवी का मंदिर , जंहा सृष्टि के पालनहार भगवान शिव की अर्धांगनी माता सती की नाभि गिरने के बाद शक्ति पीठ बन गयी थी। इसीलिए इस मंदिर को ब्रह्मांड में शक्ति का केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि शक्ति स्वरूपा मां भगवती यंहा साक्षात रूप में विराजती है।

कैसे है हरि का द्वार यानी हरिद्वार शक्ति का त्रिकोण-

नदियों और पहाड़ो से घिरे हुए हरिद्वार में उत्तर की ओर शिवालिक पर्वतमाला के बिल्व पर्वत पर विराजमान है माँ मां मनसा देवी।मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है। कश्यप ऋषि के मन से पैदा होने के कारण इनका नाम मनसा पड़ा। मां मनसा को नागराज वासुकी की बहन भी माना जाता है। इनके पति जगत्कारु तथा पुत्र आस्तिक जी हैं। कुछ ग्रंथों में लिखा है कि वासुकि नाग द्वारा बहन की इच्छा करने पर शिव नें उन्हें इसी कन्या का भेंट दिया और वासुकि इस कन्या के तेज को न सह सका और नागलोक में जाकर पोषण के लिये तपस्वी हलाहल को दे दिया। इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल नें प्राण त्याग दिया था।


मां मनसा शक्ति का ही एक रूप है जो कश्यप ऋषि की पुत्री थी जो उनके मन से अवतरित हुई थी और मनसा कहलवाई | नाम के अनुसार मनसा माँ अपने भक्तो की मनसा (इच्छा) पूर्ण करने वाली है | भक्त अपनी इच्छा पूर्ण कराने के लिए यहा पेड की शाखा पर एक पवित्र धागा बाँधते है | जब उनकी इच्छा पूरी हो जाती है तो पुनः आकर उसी धागे को खोलते है | यह मंदिर सिद्ध पीठ है जहा पूजा करने से माँ का आशीष प्राप्त होता है |
इस मंदिर में माँ मनसा की तीन मूरत है एक मूरत आठ भुजाओ वाली व अन्य मूरत के तीन सिर और व पाँच भुजाये है |

त्रिकोण का दूसरा कोण

shitla mata

दक्षिण दिशा में शीतला माता का मंदिर है।यह राजा दक्ष की पुत्री ओर भगवान शिव की अर्धांगनी मां सती का जन्मस्थान भी है।कनखल में दक्ष मंदिर के समीप शीतला माता का मंदिर है। शीतला माता को आरोग्यता और एश्वर्य की देवी माना जाता है।
कनखल में शीतला माता का मंदिर पैराणिक है। यह माता सती का जन्म स्थान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी सती यहां विराजमान हैं। शीतला माता दक्ष प्रजापति की कुलदेवी बताई जाती हैं। शीतला माता की पूजा बच्चों के लिए विशेष फलदाई बताई जाती है। ऐसी मान्यता है कि माता बच्चों के रोग दूर करती हैं। चिकनपॉक्स की बीमारी होने पर लोग अपने बच्चों को लेकर यहां पहुंचते हैं। निसंतान दम्पत्तियों के लिए भी शीतला माता की पूजा विशेष फलदाई बताई जाती है। पूजा-अर्चना से एश्वर्य की भी प्राप्ति होती है।

इस सर्व शक्तिशाली त्रिकोण का तीसरा कोण है


गंगा की पूर्वी दिशा में नील पर्वत पर मां चंडी देवी का मंदिर।
चंडी देवी मंदिर हरिद्वार में नील पर्वत के शिखर पर स्थित है। यह देश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। चंडी देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहां स्थापित करवाई थी। वहीं नील पर्वत वह स्थान है, जहां चंडिका ने शुंभ और निशुंभ राक्षसों को मारने के बाद कुछ समय आराम किया था।

कहते हैं माता का यह स्वरूप बहुत कल्याणकारी है, जो भी भक्त यहां सच्चे हृदय के साथ आता है खाली हाथ नहीं जाता, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और उसके सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते है। नवरात्र में चंडी देवी की आराधना करने का विशेष लाभ होता है।
चंडी देवी से मांगी गयी मुराद के लिए यहां पर मंदिर में चुनरी बांधी जाती है और कामना पूरी होने पर भक्त इस चुनरी को खोलने के लिए यंहा आते है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन ,आस्था और श्रद्धा के साथ मां चंडी की पूजा और आराधना करता है उसकी सभी कामनाएं पूरी होती है और उसके सभी दुःख दूर हो जाते है।
कंहा है ब्रह्मांड में शक्ति का केंद्र–

इस त्रिकोण के बीच मे स्थित है माँ माया देवी का मंदिर

Mata MayaDevi

इस मंदिर को ब्रह्मांड की शक्ति का केंद्र भी माना जाता है। इस मंदिर में वो शक्ति है की यंहा जो भी भक्त सच्चे मन से मा की आराधना ओर दर्शन करता है वह सभी इच्छाओ को प्राप्त कर लेता है | यही बजह है कि नवरात्र में माया देवी मंदिर में माँ के भक्तों का ताता लगा रहता है | माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है और प्राचीन मान्यता है कि माँ सती का एक अंग नाभि यहाँ गिरी थी और जहा-जहा उनके अंग गिरे वे स्थान सिद्धपीठ के रूप में विख्यात हुए दुनिया में ऐसे ५१ स्थान है जहा पर सती के अंग गिरे थे और यह सभी स्थान सिद्ध पीठ के रूप में जाने जाते है और इन स्थानों पर जों भी आराधना करता है उसकी मनोकामनाये पूरी हो जाती है |विशेष बात यह है कि मायादेवी मंदिर तंत्र विद्या के लिए भी उपयुक्त माना जाता है |भगवान नारद ने भी यहाँ आराधना की है और उन्हें यहाँमाँ लक्ष्मी के दर्शन हुए थे |हरिद्वार के अधिकाश लोग हर रोज माता के दर्शन करने के लिए माया देवी मंदिर आते है |हरिद्वार के व्यापारी तो माता के दर्शन के साथ ही अपनी कारोवार की शुरुआत करते है | तीर्थ नगरी की जनता का मानना है कि नवरात्र में माया देवी मंदिर में आराधना करने से तो सभी कामनाये पूरी होती ही है साथ ही सामान्य दिनों में भी इस मंदिर में पूजा करने से सभी कामनाये पूरी होती है |यहाँ तक कि माँ स्वयं ही मन की मुराद को जान लेती है और उनको पूरा कर देती है |

तो इस नवरात्र आप भी आये हरिद्वार और  शक्ति के इस त्रिकोण में विराजमान ब्रह्मांड में सर्वशक्तिमान 4 देवियों के दर्शन करें। मा आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगी। हम मां से इस नवरात्र अपने सभी पाठकों और भक्तों के लिए सुख, शांति, यश कीर्ति, धन संपदा, ओर पद प्रतिष्ठा की की मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते है।

Front Page Bureau

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