ये मुख्यमंत्री है या ????.. इन्हें कोई भी गरिया देता है, अब महिला ने गरियाते हुए कहा भागो नही तो पत्थर मार कर भगाएंगे

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ राज्य की जनता का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। पहले जनता दरबार मे एक शिक्षिका ने मुख्यमंत्री को अपशब्द कह डाले थे तो अब धुमाकोट बस हादसे में मारे गए लोगो के परिजनों और घायलों से मिलने गए मुख्यमंत्री को एक महिला ने गरिया दिया और  वंहा से नही वापस जाने पर पत्थर मार मारकर भगाने की धमकी दे डाली। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत धुमाकोट बस हादसे के पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें सांत्वना देने पंहुचे थे। मगर वंहा उन्हें भीड़ के आक्रोश का सामना करना पड़ा। एक महिला तो भीड़ में तमाम पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के सामने ही मुख्यमंत्री पर भड़क गई। महिला ने मुख्यमंत्री को झिडकते हुए कहा कि जब लोगो के घर उजाड़ गए तब आ रहे हो, भागो यंहा से, वरना पत्थर मार मार कर भगाएंगे, फिर तुम्हे जो करना हो कर लेना।

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]महिला के मुख्यमंत्री को इस तरह के शब्द कहने से वंहा मौजूद सब लोग अवाक रह गए। मगर उत्तरा प्रकरण से गहरी चोट खाये मुख्यमंत्री या किसी अफसर की हिम्मत नही हुए की वंहा वह उस महिला से कुछ कह सके। यही नही महिला ने कहा कि और दिन क्यों नही घूमते हो तुम लोग इधर, वोट मांगने के वक्त ही आ जाते हो।

मुख्यमंत्री के साथ आज एक महिला द्वारा इस तरह का व्यवहार दरअसल पहाड़ की निरीह बन चुकी जनता की पीड़ा व्यक्त करता है। आज पहाड़ के हालात ऐसे हो चुके है कि लोग मजबूरी में पहाड़ो से पलायन कर रहे है। जो लोग पहाड़ पर रह रहे है वह जानवरो से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर है। चुनाव के वक्त  राजनीतिक दल पहाड़ की जनता से बड़े बड़े वादे करते है, मगर चुनाव के बाद सत्ता में आते ही लोगो को उनके हाल पर छोड़ देते है। पहाड़ से पलायन रोकने के लिए बड़े बड़े भाषण देने वाले नेता खुद मैदानी क्षेत्रों में बसे हुए है। इनमे से कोई भी पहाड़ पर नही रहना चाहता है।

पहाड़ की जनता तमाम तरह की समस्याओं से जूझ रही है, उनका दुख दर्द बांटने वाला कोई नही है, जब भी कोई बड़ी घटना या हादसा हो जाता है तभी इन्हें याद आती है और पंहुच जाते है घड़ियाली आंसू बहाने के लिए जनता के पास। यह दिखाने के लिए कि उनसे बड़ा कोई हमदर्द नही है उनका।

धुमाकोट बस हादसे में सरकारी लापरवाही ने कई परिवार लील लिए। उत्तराखंड की जनता को आल वेदर रोड का सपना दिखाया जा रहा है मगर पूरे राज्य में सड़कों की हालत किस कदर खराब है ये देखना है तो मैदान से लेकर पहाड़ तक देख लीजिए। यंही नही पता चलता है कि सड़कों में गढ्डे है या फिर गड्डों में सड़क। पहले सड़क बनाने के नाम पर करोड़ो की बंदरबांट होगी, फिर कुछ दिनों बाद ही उनमे बने गड्डों की लीपापोती करने के लिए करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा दिए जाएंगे। और कहने को है ये भ्रस्टाचारमुक्त सरकार। अरे सरकार कुछ तो शर्म करो पहाड़ की इस भोली भाली जनता पर रहम करो। नही तो उत्तरा और धूमाकोट जैसे मामले और होंगे, अभी तो जनता केवल जबान ही चला रही है, अगर अब भी नही संभले तो हालात बेकाबू हो सकते है।

Front Page Bureau

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