क्या आपको पता है नेपाल के अलावा उत्तराखंड में भी है पशुपतिनाथ महादेव का मंदिर, इस सावन करिए शिव के चतुर्मुखी शिवलिंग पशुपतिनाथ का जलाभिषेक, जीवन में सभी कष्टों से पा सकेंगे मुक्ति

राजकुमार,

हरिद्वार

यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित द्वादश ज्योतिर्लिंग पशुपतिनाथ मंदिर का संबंध उत्तराखंड के हरिद्वार से भी है। यंहा भी स्थित है नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की प्रतिकृति पशुपतिनाथ का मंदिर। नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर ही हरिद्वार में बना पशुपतिनाथ मंदिर में शिवलिंग नेपाल के मंदिर की प्रतिकृति मानी जाती है। हरिद्वार स्थिति पशुपतिनाथ मंदिर की मान्यता नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर जितनी ही मानी जाती है। काठमाण्डू स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग पशुपतिनाथ महादेव के दर्शनों से जो पुण्य लाभ मिलेगा वही पुण्य लाभ हरिद्वार के मोती बाजार में श्रवणनाथ मठ स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन से प्राप्त होगा। इस मंदिर का निर्माण 199 वर्ष पूर्व संवत 1876 में नेपाल के तत्कालीन राजा राज राजेन्द्र विक्रम सिंह ने अपने गुरु श्रवण नाथ मठ के तपस्वी श्री महंत श्रवण नाथ गिरी की प्रेरणा से कराया था


नेपाल स्थित पशुपतिनाथ नाथ मंदिर में स्थापित चतुर्मुखी शिव प्रतिमा बनाई गई है। जिस कसौटी के पत्थर पर भगवान पशुपति नाथ का शिवलिंग बनाया गया है कहा जाता है कि हरिद्वार के मोती बाजार  स्थित श्रवण नाथ मठ में भी उसी कसौटी पत्थर पर चतुर्मुखी शिव प्रतिमा यानी शिव लिंग बनाया गया है। कहा जाता है कि जिस तरह के नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के शिवलिंग के पत्थर को पारस पत्थर माना जाता है उसी तरह से हरिद्वार के मंदिर के शिवलिंग का पत्थर भी पारस पत्थर बताया ही माना जाता है।

निरंजनी अखाड़े के महंत रविन्द्रपुरी जी महाराज बताते है कि उस वक्त मंदिर के निर्माण में दो लाख रुपये की रकम खर्च हुई थी। मंदिर निर्माण में मेवाड़ के राजा रतन सिंह और नेपाल के राजा राज राजेन्द्र विक्रम सिंह साथ थे। यहाँ पशुपतिनाथ मंदिर में स्थापित मूर्ति का स्वरूप नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के समान ही है पर शिवलिंग का आकार वंहा से छोटा है। नेपाल के बाद पशुपतिनाथ का मंदिर केवल हरिद्वार में ही है। इन मंदिरों जैसा तीसरा मंदिर पूरे विश्व मे नही है।

मंदिर निर्माण के दौरान यंहा एक शिलालेख भी लगाया गया था। यह मंदिर नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का ही स्वरूप है। वर्तमान में यह मंदिर चारो और आवासीय भवनों से घिरा हुआ है और शायद हरिद्वार पंचपुरी के कम ही लोगो को इस मंदिर के बारे में उसके इतिहास और मान्यता के बारे में जानकारी होगी। इसके बावजूद भी सावन के महीने में यंहा आसपास के लोग बड़ी संख्या में यंहा भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते है।
नेपाल नरेश जब हरिद्वार में पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण करवा रहे थे तब मंदिर निर्माण में मेवाड़ नरेश राज रतन सिंह ने मंदिर के नाम पांच हाथी, पांच घोड़े, पांच दुशाले और सोने के दस कड़े श्रवण नाथ मठ को दान में दिए थे। तब से लेकर आज तक पशुपतिनाथ के दो ही मंदिर चले आ रहे है ,अन्यंत्र कही भी तीसरा मंदिर आज तक नही बना। इस मंदिर का दर्शन हरिद्वार आने वाले जानकार श्रदालु प्राप्त करते हैं। श्रावण मास और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष अनुष्ठान  का आयोजन किया जाता है।

नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के शिवलिंग की प्रतिकृति ही है यंहा के मंदिर का शिवलिंग

नेपाल के मंदिर के शिवलिंग की तरह ही इस पशुपतिनाथ मंदिर शिवलिंग विग्रह चतुर्मुखी है। शिवलिंग विग्रह में चारो दिशाओं में चार मुख और ऊपर की और एक मुख है।  सभी मुख्य अपने आप ने कुछ महत्व व नाम लिए हुए है। शिवलिंग के पूर्व की दिशा की और बने मुख को “तत्पुरुषा”, दक्षिण की और बने मुख को “अघोरा”,उत्तर की और बने मुख को “वामदेव”, तथा पश्चिम की और बने मुख को “साधयोजटा” के नाम से जाना जाता है। इन सभी मुखों को चार धर्मो व हिन्दू धर्म के चार वेदों के चिन्हों के रूप में वर्णित किया जाता है। शिवलिंग के ऊपरी भाग को ईशान कहा जाता है।

पशुपतिनाथ : तांत्रिक विद्या का सबसे प्रमुख मंदिर

जिस तरह से नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को तंत्र विद्या के प्रमुख मंदिर के रूप में माना जाता है उसी तरह से हरिद्वार के पशुपतिनाथ मंदिर को तंत्र साधना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर का पुराणों में जो अर्थ बताया गया है वह है” पशुपति” यानी जीवन का देवता। पशु मतलब जीवन और पति या नाथ मतलब मालिक, यानी जीवन का स्वामी। पशुपतिनाथ मंदिर जीवन के स्वामी का मंदिर है।

तो इस सावन आप भी आइयेगा हरिद्वार में मोती बाजार में श्रवणनाथ मठ स्थिति पशुपतिनाथ मंदिर में और कीजिये भगवान शिव के पशुपतिनाथ स्वरूप का जलाभिषेक। पशुपतिनाथ के जलाभिषेक से जीवन के हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिला जाता है।

Front Page Bureau

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