संवाद के तरीक़े को प्रभावित करता है तनाव- डॉ लक्ष्मी चौहान

देहरादून। ग्राफ़िक एरा विश्वविद्यालय की एसोसियेट प्रोफ़ेसर डॉ. लक्ष्मी चौहान ने कहा कि तनाव हमारे संवाद करने के तरीके को प्रभावित करता है। अभ्यास से तनाव के दौरान भी प्रभावी ढंग से संवाद किया जा सकता है।

कन्या गुरुकुल कैंपस देहरादून के अंग्रेजी विभाग की ओर से संचार कौशल पर एक सप्ताह की कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में लक्ष्मी चौहान ने कहा कि छात्र शिक्षा में संचार कौशल में वृद्धि एक महत्वपूर्ण पहलू है।

डॉ. आशिमा श्रवण ने बताया कि समाज में सार्थक और सामंजस्यपूर्ण संचार प्राप्त करने के लिए अभ्यास से प्राप्त निर्धारित मानदंडों के अनुसार भारतीय संचार मॉडल का ध्यान संयम और शब्दों के अनुशासन पर है। डॉ लक्ष्मी नेगी ने सक्रिय सुनने के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि सुनना कैसे सूचनात्मक, भेदभावपूर्ण, पक्षपातपूर्ण, व्यापक, सहानुभूतिपूर्ण और आलोचनात्मक हो सकता है। डॉ मुकेश गुप्ता ने कहा कि “योजना आवश्यक है लेकिन निष्पादन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

डॉ मेघना राव ने कहा कि शिक्षकों को सत्रों को इंटरैक्टिव बनाकर सीखने की सुविधा प्रदान करनी होगी। उन्होंने व्यक्तिगत संवर्धन के लिए और रोजमर्रा की जिंदगी की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होने के लिए सॉफ्ट स्किल्स के महत्व पर विस्तार से बताया।

डॉ. दीपा अग्रवाल ने मौखिक और गैर-मौखिक संचार के बारे में विस्तार से बताया और चित्रों और इमोजी के साथ समझाया कि मानसिक रूप से मंद, श्रवण बाधित और अशिक्षित लोगों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने के लिए सांकेतिक भाषा का उपयोग कैसे किया जा सकता है। डॉ. रत्ना पांडेय ने प्रभावी अध्यक्ष बनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदमों पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया और नौकरी में भर्ती के लिए साक्षात्कार का सामना करने के कुछ टिप्स भी दिए।

कार्यक्रम का संचालन डा. रीना वर्मा और बबिता नेगी ने किया। कार्यक्रम संयोजक डा. हेमलता के ने सभी का आभार जताया।

Front Page Bureau

Front Page Bureau

This function has been disabled for Front Page Newz.