नवरात्र साधना का है अलौकिक विज्ञान- डॉ. चिन्मय पण्ड्या

हरिद्वार 29 सितंबर।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि नवरात्र अनुष्ठान के साथ यज्ञ का विशेष महत्व है, जो आंतरिक कषाय कल्मष को दूर करे, वह यज्ञ कहलाता है।  यज्ञ संवेदना का जागरण करता है और सत्प्रेरणा प्रदान करता है।
डॉ पण्ड्या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मृत्युजंय सभागार में आश्विन नवरात्र के अवसर पर आयोजित स्वाध्याय शृंखला के चौथे दिन भक्त, भक्ति और भगवान की महिमा विषय पर साधकों को संबोधित कर रहे थे।  उन्होंने कहा कि भगवान याजक के भावों को ग्रहण करता है। जो साधक अनुष्ठान के साथ मनोयोगपूर्वक यज्ञ करता है, उसे इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

डॉ पण्ड्या ने कहा कि पांच प्रकार के यज्ञ होते हैं- द्रव्य यज्ञ, तपोयज्ञ, योग यज्ञ, स्वाध्याय यज्ञ और ज्ञान यज्ञ। इन यज्ञों में स्वाध्याय यज्ञ का महत्वपूर्ण स्थान है।  स्वाध्याय यज्ञ से मन मस्तिष्क के विकार समाप्त होते हैं।  इससे आत्म संयम साधने का सूत्र प्राप्त होता है। डॉ पण्ड्या ने कहा कि स्वाध्याय यज्ञ के अंतर्गत सत्साहित्यों का चयन, परख, परिमार्जन और उसकी साधना महत्वपूर्ण है।  स्वाध्याय यज्ञ से भाव विचार और व्यवहार में परिवर्तन होता है।

अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भारत-चीन युद्ध के दौरान पीतांबर पीठ के आचार्यों ने जो यज्ञ किया था, उसका भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका रही। उन्होंने कहा कि भारत पर जब-जब आक्रांताओं ने हमला किया, तब-तब ऋषियों की इस भूमि से अनेक सिद्ध संतों, साधकों ने तपोयज्ञ कर भारत को सुरक्षित रखने हेतु अपनी तप शक्ति लगाई।

शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयोजित सत्संग को संबोधित करते हुए देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने नवरात्र साधना के अलौकिक विज्ञान पर प्रकाश डाला।  उन्होंने कहा कि नवरात्र साधना साधक को समग्रता से जोड़ता है। इस साधना से उत्सर्जित ऊर्जा मनुष्य जीवन के प्रारब्ध को नष्ट करता है और भविष्य को श्रेष्ठतर बनाता है।  साधक के व्यक्तित्व को ऊँचा उठाता है। पूर्ण एकाग्रता के साथ साधना करने का परिणाम सुखद होता है।

उन्होंने कहा कि गायत्री साधना जाति, आयु और भोग के बंधन से मुक्ति दिलाने में कारगर है।  गायत्री साधना साधक के इहलोक और परलोक दोनों को सुधारता है। प्रतिकुलपति ने विभिन्न पौराणिक एवं आधुनिक कथानकों का जिक्र करते हुए गायत्री साधना की गुह्य उपलब्धियों से लेकर मानव जीवन में घटित होने वाली घटनाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला।  साथ ही अनादिकाल से लेकर वर्तमान समय में घटित घटनाओं में साधना के परिणामों को सरल उदाहरणों के माध्यम से विस्तार से जानकरी दी।  इस अवसर पर शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्तागण, अंतःवासी भाई-बहिन सहित देश-विदेश से आये गायत्री साधक हजारों की संख्या में उपस्थित रहे।

 

 

Front Page Bureau

Front Page Bureau

This function has been disabled for Front Page Newz.