हरिद्वार,
हरिद्वार और आसपास के सबसे बड़े सेक्स रैकेट का फरार चल रहा मास्टरमाइंड आखिर पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया। हरिद्वार पुलिस और एसटीएफ ने आज रोबर्ट स्टेला गैंग के कमल अग्रवाल को हरिद्वार में बस अड़डे के पास से गिरफ्तार कर लिया। कमल पर पुलिस ने ढाई हजार का इनाम रखा हुआ था और वह 2013 से ही फरार चल रहा था। साल 2013 में पुलिस ने हरिद्वार में ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र की हरिलोक कॉलोनी में छापा मारकर सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया था। उसी घटना में कमल अग्रवाल फरार चल रहा था।
देहरादून की रोबर्ट स्टेला नाम की महिला और उसका बेटा सबसे बड़ा सेक्स रैकेट चलाते थे। बताया जाता है कि स्टेला का जिशम्फरोशी का धंधा दिल्ली से पंजाब हरियाणा, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड तक फैला हुआ था और हाइ प्रोफ़ाइल सोसाइटी के लोग, बड़े अधिकारी और नेताओं तक उसकी पंहुच थी। स्टेला का ड्राइवर कमल अग्रवाल नाम का युवक उसके धंधे में दूसरे नंबर की भूमिका में था और वह धंधे का मास्टरमाइंड भी बताया जाता है।
कैसे पकड़ा गया सेक्स रैकेट का मास्टरमाइंड
साल 2013 हरिद्वार में पुलिस को जिशम्फरोशी के धंधे की सूचना मिली थी। हरिद्वार कोतवाली प्रभारी चंद्रभान ने बताया कि तब हरिद्वार कोतवाली पुलिस ने ज्वालापुर की हरिलोक कॉलोनी के एक मकान में छापा मार कर इस रैकेट का भंडाफोड़ किया था। वंहा से कई लड़कियां पकड़ी गई थी। पुलिस ने रैकेट की सरगना स्टेला और उसके बेटे को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि इस गैंग के सात अन्य लोगो के नाम भी सामने आए थे जिनमें एक कमल अग्रवाल भी था। ये सभी सातों लोग फरार थे और तभी से पुलिस इनकी तलाश कर रही थी। आज एसटीएफ के ऐ के भट्ट की सूचना पर एसटीएफ और हरिद्वार पुलिस ने हरिद्वार बस अड़डे के पास से कमल अग्रवाल को दबोच लिया। पुलिस ने कमल अग्रवाल की गिरफ्तारी पर ढाई हजार का इनाम भी घोषित किया हुआ था।
कैसे बना था ड्राइवर से गैंग का मास्टरमाइंड
कमल अग्रवाल गैंग की सरगना स्टेला का ड्राइवर हुआ करता था। मगर ड्राइवर होने के बावजूद भी कमल स्टेला गैंग में नंबर दो की हैसियत पर था। कमल ही जिशम्फरोशी के धंधे के लिए शिकार लड़कियों की तलाश कर उन्हें इस धंधे में ले कर आता था। स्टेला जब आखरी बार गिरफ्तार हुई तो गैंग की कमान कमल के हाथों में आ गयी। तब से ही कमल इस धंधे का सरगना बना हुआ है।
कैसे फंसाता था कमल लड़कियों को अपने जाल में-
कमल स्टेला का ड्राइवर होने के साथ ही उसका सबसे बड़ा राजदार भी था और जिशम्फरोशी के धंधे का सबसे बड़ा खिलाड़ी। बताते है कि कमल भोली भाली और जरूरतमंद लड़कियों को अपने जाल में पहले फंसाता और फिर उन्हें जिशम्फरोशी के दलदल में उतार देता था। साल 2013 में जब हरिद्वार में इस गैंग का भंडाफोड़ हुआ तब वंहा से दिल्ली की एक लड़की भी पकड़ी गई थी। इस लड़की को कमल ने नौकरी दिलाने के बहाने फंसाया था। उसे नौकरी दिलाने के नाम पर दिल्ली से यंहा बुलाया और जबरन सेक्स के धंधे में उतार दिया।
कोतवाली प्रभारी चंद्रभान सिंह के अनुसार इस लड़की की शादी होने वाली थी और वह नौकरी की तलाश में थी। कमल के जाल में फंस जाने पर उसके मंगेतर ने ही पुलिस को इसकी सूचना दी थी। उसके बाद ही पुलिस ने जाल बिछाकर रैकेट का भंडाफोड़ किया था। उस छापे में पकड़ी गई दिल्ली की लड़की भी शामिल थी।
सहारनपुर के माधब नगर, भूतेश्वर मंदिर रोड निवासी कमल अग्रवाल ने 2013 के छापे में स्टेला के पकड़े जाने के बाद से ही गैंग की कामना थाम ली थी और इंदिरापुरम गाजियाबाद को अपना नया ठिकाना बना लिया था। कमल का धंधा दिल्ली, एन सी आर, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के अलावा पंजाब और हरियाणा तक फैला हुआ है। उसके रैकेट में इन राज्यो की दर्जनों स्कूली छात्राएं भी शामिल है जिनमे ज्यादातर बड़े घरों की बताई जाती है। यह छात्राएं अपने शौक पूरे करने के लिए इस धंधे में शामिल है। कमल की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस इसके रैकेट के नेटवर्क के बारे में पूरी जानकारी जुटा रही है। कमल की गिरफ्तारी से कई सफेदपोशों के नाम भी सामने आ सकते है।