चम्पावत उपचुनाव की सबसे हैरत अंगेज खबर- धामी, जागेश्वर, विंध्यांचल, काली मां और तांत्रिक अनुष्ठान, इन सब मे आपस मे क्या है खास रिश्ता, ये मात्र एक संयोग है या कुछ और….

चम्पावत।

चम्पावत विधानसभा सीट पर उपचुनाव में इस वक्त पूरे देश की निगाहें टिकी हुई है। वजह यँहा से उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी है राज्य के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। विधानसभा के आम चुनाव में भाजपा को एक बार फिर से भारी बहुमत से सत्ता में वापसी कराने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद की खटीमा सीट से चुनाव हार गए थे। चुनाव हारने के बाद भी भाजपा आलाकमान ने धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाया था। अब उन्हें मुख्यमंत्री बने रहने के लिए 6 माह के भीतर विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है।  इसीलिए चम्पावत के भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी के इस्तीफे के बाद हो रहे उपचुनाव में धामी चुनाव मैदान में है। अब ये राजनीति के हिसाब से एक सामान्य प्रक्रिया है, मगर हम जो आपको बताने जा रहे है वह है सबसे खास। उपचुनाव से पहले मुख्यमंत्री रहते धामी का आम चुनाव में पार्टी की भारी जीत के बाद भी हार जाना और अब उपचुनाव में धामी का फिर से चुनाव मैदान में आ जाना, इस सब के पीछे कुछ ऐसा है जो सामान्य बात नही है।

 

धामी की हार की वजह……पार्टी का ही “खास” चेहरा……?

आम चुनाव में मुख्यमंत्री धामी का चुनाव में हार जाना अप्रत्याशित था। उस वक्त धामी की चुनाव में अच्छी स्थिति के बाद भी उनके हार जाने के पीछे जो वजह चर्चाओं में तैर रही थी, उससे तो कहा जा रहा था कि धामी को चुनाव हराने के पीछे कोई पार्टी का ही “खास” चेहरा है जो धामी की जीत नही चाहता था और वजह मानी जा रही थी मुख्यमंत्री की कुर्सी। या यों कंही की पार्टी का एक रसूखदार बड़ा चेहरा खुद सीएम की कुर्सी का दावेदार था और चुनाव से पहले से ही इसके लिए लॉबिंग करने में जुट हुआ था, वह नही चाहता था कि धामी चुनाव में जीत जाए। कहा जा रहा है कि इस “खास” चेहरे ने तब भी धामी को हराने के लिए अपनों के माध्यम से खटीमा में पैसा पानी की तरह बहाया था। कहा जा रहा है कि तब इस “खास” ने डेढ़ करोड़ रुपये धामी के विरोधियों को भेजे थे।

 

धामी को हराने के लिए तंत्र मंत्र का सहारा

इस “खास” की रणनीति उस वक्त धामी को हराने में तो सफल हो गई मगर वह भारी पैसा खर्च करने के बाद भी धामी को सीएम पद पर दोबारा बैठ पाने से नही रोक पाया। तो अब उपचुनाव में उसने धामी को हराने के लिए तंत्र मंत्र का सहारा लेना शुरू कर दिया। चर्चा है कि उपचुनाव घोषित होते ही इस खास ने एक बार फिर से धामी विरोधियों को हरिद्वार से अपने चेले के हाथ एक बड़ी रकम भिजवाई थी। पैसा भिजवाने के लिए बिना नम्बर की नई गाड़ी का इस्तेमाल किया गया था।

 

चम्पावत विधानसभा के चारो कोनों में चार जगह पर बगुलामुखी के तांत्रिक अनुष्ठान 

इसके साथ ही यह “खास” इस बार धामी को हराने के लिए बड़े स्तर पर तंत्र मंत्र का सहारा ले रहा बताया जा रहा है। चर्चा है कि इसने सबसे पहले चम्पावत विधानसभा के चारो कोनों में चार जगह पर बगुलामुखी के तांत्रिक अनुष्ठान करवाये। यह अनुष्ठान करीब एक सप्ताह तक चले और अनुष्ठान की पूर्णाहुति के बाद चारो स्थानों से चम्पावत आने जाने वाले रास्तो पर अभिमंत्रित की गई पीली सरसों के दानों को बिखराया गया। जानकार बताते है कि जिस विरोधी के लिए यह तांत्रिक अनुष्ठान किया गया है उसकी ताकत कमजोर हो जाये और उसे किसी अपमानजनक मामले में फंसा कर उसकी ताकत को कमजोर किया जा सके।

 

जागेश्वर में दूसरा तांत्रिक अनुश्ठान

इसके अलावा दूसरा तांत्रिक अनुश्ठान जागेश्वर में करवाया गया है। चर्चा है कि एक बंगाली तांत्रिक ने 11 दिन तक यंहा पंर भी तांत्रिक अनुष्ठान किया है। इस बंगाली तांत्रिक को दक्षिणा के तौर पर भारी रकम तो दी ही गयी बल्कि चर्चा तो यह भी है कि इस बंगाली तांत्रिक की हरिद्वार में रहने वाली उसकी एक “अंतरंग शिष्या” को एक मकान भी उपहार के तौर पर दिलाया गया है। तांत्रिक की इस शिष्या का भाई तांत्रिक के साथ ही रहता है।

एक और अनुष्ठान उत्तराखंड के बाहर यूपी के मिर्जापुर में कराए जाने की चर्चा है। मिर्जापुर के प्रसिद्ध विध्यांचल माता के मंदिर में यह तांत्रिक अनुष्ठान किया जाना बताया जा रहा है।

 

सबसे खतरनाक और अंतिम तांत्रिक अनुष्ठान

इन तांत्रिक अनुस्थानो में सबसे खतरनाक और अंतिम तांत्रिक अनुष्ठान तीन दिन पहले चम्पावत विधानसभा क्षेत्र में टनकपुर के पास कराए जाने की चर्चा है। चर्चा है कि तीन दिन पहले यह खास इस क्षेत्र में ही मौजूद था और टनकपुर के पास विश्वप्रसिद्ध पूर्णागिरि मंदिर की तलहटी में स्थित काली मंदिर में गोपनीय तरीके से यह अनुष्ठान कराया गया। चर्चा है कि इस अनुष्ठान में 111 बकरों की बली भी दी गयी।

 

वो कौन…….? 

अब सवाल यह उठता है कि आखिर वह कौन है जो धामी को आगे बढ़ता हुआ नही देखना चाहता है ?  वह कौन है जो उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने के लिए तड़प रहा है? वह कौन है जो खुद को पार्टी से ऊपर मान कर अपने को राज्य की सत्ता पर काबिज करना चाहता है। इस तरह के हजारों सवाल पिछले कुछ समय से राज्य के राजनीतिक गलियारों के साथ चौक चौराहों पर चर्चा का खास विषय बने हुए है।

 

  “कोई लाख बुरा चाहे क्या होता है, होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है”    

इन सब चर्चाओं और कयासों के बीच एक चर्चा और है। लोग इन सब चर्चाओं का एक ही जवाब दे रहे है कि “कोई लाख बुरा चाहे क्या होता है, होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है”।  लोगो का मानना है कि इस तरह के अनैतिक हथकंडों से कुछ नही होने वाला। इससे किसी की किस्मत को नही पलटा जा सकता है। चम्पावत उपचुनाव में इस वक्त मुख्यमंत्री धामी की लोकप्रियता दिन पंर दिन बढ़ती जा रही है। चुनावी क्षेत्र में भाजपा की विरोधी पार्टी कंही नजर तक नही आ रही है। ज्यादातर मतदाताओं का कहना है कि धामी ही जीतेंगे। क्षेत्र के हर मतदाता की जुबान पर धामी की सादगी, सौम्यता, और उन्हें मधुर व्यवहार के चर्चे है। हर कोई कह रहा है धामी अब तक कि राज्य में हुई जीत का रिकार्ड तोड़ेंगे। अब देखना है कि बेहद चर्चित इस उपचुनाव में अनैतिक हथकंडे और कुटिलता जीतते है या फिर सरल स्वभाव, सौम्यता और नैतिकता की जीत होती है। कहावत तो यह भी है कि “सत्य कभी पराजित नही होता”।

 

चुनाव में धामी विरोधियों के अनैतिक हथकंडों की यह तो एक बानगी भर है। अभी और भी बहुत कुछ ऐसा है जो सामने आना बाकी है। एक दो दिन में अभी और भी खुलासे होंगे। जल्द ही वह भी हम आप तक पंहुचाएँगे।

 

Front Page Bureau

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