हरिद्वार
भाजपा की सरकार में मंदिरो पर चल रहे है हथोड़े। धर्म की नगरी हरिद्वार में भूमाफिया भगवान को भी नही बक्श रहे है। संतो के क्षेत्र कनखल के सन्यास रोड के एक आश्रम में एक मंदिर को ध्वस्त किया जा रहा है। पुराणों के अनुसार शिव की ससुराल कनखल में एक शिव मंदिर को ढहाए जाने का मामला प्रकाश में आया है जिससे आसपास के संतों में रोष है। मगर भूमाफियाओं के भय की वजह से साधु संतो ने चुप्पी साधी हुई है।
कनखल के संन्यास मार्ग पर सालों पहले एक आश्रम में स्थित मंदिर और उससे लगे स्थान को श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से अखाड़े के ही स्वामी वेद भारती ने वेद पाठशाला के निर्माण के लिए खरीदा था। पाठशाला का निर्माण होने से पूर्व स्वामी वेद भारती ने भण्डारी ग्रुप को उक्त सम्पत्ति विक्रय कर दी। ग्रुप ने यहां एक भंडारी आश्रम नाम रखकर विशाल शिवालय का निर्माण करवाया। शिवालय में प्रतिदिन पूजा-पाठ का क्रम अनवरत चलता रहता था। बाद में भण्डारी आश्रम को भी हरिद्वार के कुछ भू माफियाओं को बेच दिया गया। मंदिर में शिव की विशालकाय बहुत की सुंदर प्रतिमा के साथ अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं विधि विधान के साथ स्थापित की गई थी। भू माफियाओं ने सम्पत्ति तो खरीद ली मगर अब उसे आगे बेचने में मंदिर रोड़ा बन रहा था। आश्रम की जमीन की खरीद फरोख्त में मंदिर केे आड़े आने पर मंदिर में रखी मूर्तियों को करीब छह माह पूर्व गुपचुप रूप से उखाड़कर फेंक दिया गया। उसके बाद रविवार से उन्होंने मंदिर को ढहाने का काम भी शुरू कर दिया।
भूमाफियाओं ने मौके पर मंदिर होने के सुबूत मिटाने का पहले से ही इंतेजाम किया हुआ है। मंदिर के अंदर पहले गुपचुप तरीके से लिंटर डाल कर छत बना दी गई। इसके बाद आज सुबह से ही मंदिर को ध्वस्त करने का काम युद्धस्तर पर शुरू किया गया। मंदिर को ध्वस्त करने में लगे मजदूर मंदिर के ऊपर चप्पल जूते पहन कर उसे तोड़ने में लगे हुए थे।
[highlight color=”red”]देखिये कैसे तोडा जा रहा है मंदिर [/highlight]
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मंदिर को तोड जाने से संतो का क्षेत्र होने के कारण संतों में रोष व्याप्त है। किन्तु भूमाफियाओं की दबंगई के चलते कोई भी खुलकर विरोध करने को तैयार नहीं है। उक्त संबंध में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा बलराम दास हठयोगी ने हरिद्वार भूमाफियों द्वारा धार्मिक संपत्तियों को खुर्द बुर्द किये जाने को चिंताजनक बताया है। उंन्होने कहा कि तीर्थनगरी में आने वाले श्रद्धालुओं के रहने के लिए बनाई गई धर्मशालाएं होटलों का रूप ले चुकी हैं। यह सब भूमाफियाओं का ही प्रभाव है। उन्होंने कहा कि तीर्थनगरी की धार्मिक जनता और संत समाज अब भी नहीं चेता और हो रहे अधर्म के खिलाफ उन्होंने आवाज नहीं उठाई तो आने वाले समय में आश्रम भी अय्याशी के अड्डे बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार भण्डारी आश्रम को बेचा गया और वहां बने शिवालय को तोड़ा जा रहा है संतों और धर्म परायण जनता को उसके विरोध में आगे आना चाहिए। धर्म नगरी में इस प्रकार के अधर्म को देखना भी पाप है और संतों को चुप रहना तो हैरानी की बात है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर में लिए राजनीतिक दल हल्ला मचाते हैं, किन्तु भगवान श्रीराम के आराध्य भगवान शिव का मंदिर तोड़े जाने पर चुप्पी किसी अधर्म से कम नहीं है।
अफसोस कि बात तो यह है कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले और दूसरे धार्मिक संगठन भी चुप्पी साधे हुए है। कोई भी मंदिर को ध्वस्त किये जाने के खिलाफ बोलने तक को तैयार नही है।