हरिद्वार। डेरा श्री बाबा रुद्र धाम आश्रम में बैशाखी महोत्सव भव्य रूप से मनाया गया। महोत्सव के दौरान अनेक धार्मिक आयोजन किये गए। आयोजन में संगीतमय श्री मद भागवत कथा का आयोजन भी किया गया। भागवत कथा प्रख्यात कथा वाचक पंडित सुरेंद्र शास्त्री जी (लुधियाना वाले) द्वारा की गई।
आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी सुग्रीवानंद जी ने इस मौके पर देश भर से आये भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण करे और निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल ‘ मनोरंजन ‘, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी । भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। उन्होंने कहा कि इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।
स्वामी सुग्रीवानंद जी ने कथा और सत्संग का महत्व बताते हुए कहा कि सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चो को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है।इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है।श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।
स्वामी सुग्रीवानंद जी के उत्तराधिकारी स्वामी हेमानंद जी ने भी भागवत कथा पर विस्मतार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि श्री मद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।
स्वामी हेमानंद जी ने भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं।श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है।
आश्रम में एक सप्ताह चले बैशाखी महोत्सव में धर्मिम आयोजन के साथ प्रतिदिन भंडारे का भी आयोजन किया गया। धर्मपाल वशिष्ठ, कैप्टन जयलाल शर्मा, पंजाब पुलिस के सेवानिवृत्त डीएसपी प्रवेश कुमार,पवन कुमार शर्मा, रामयश गर्ग, इंस्पेक्टर आशुतोष परमार, प्रिंसिपल के एल शर्मा, अरविंद शर्मा, गगन, रिंकी, रजनीश, डॉक्टर कैलाश खन्ना, धीरज खन्ना आदि ने महोत्सव में आये भक्तों का स्वागत किया।