हरिद्वार
आज हरिद्वार बाल संरक्षण आयोग की महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन जिला कलेक्ट्रेट में किया गया था जिसमें आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूरी सहित तमाम विभागों के अधिकारी मौजूद थे।बैठक में बच्चों के कुपोषण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर गंभीर चिंतन मनन होना था, मगर अफसोसजनक बात है कि इस मत्वपूर्ण बैठक में कुछ अधिकारी बच्चों की चिंता छोड़ अपने मोबाइल फ़ोन पर फेसबुक, व्हाटसअप आदि में लगे हुए थे। आआयोग के अध्यक्ष ने बताया कि हरिद्वार बच्चों के कुपोषण के मामले में प्रदेश में सबसे ऊपर है। उंन्होने बाल संरक्षण के तहत योजनाओं की समीक्षा भी की ओर बढ़ते कुपोषण पर गंभीर चिंता भी जताई। मगर बैठक में अधिकारियों को इससे शायद कोई मतलब नही था। आप खुद ही देख लीजिए बैठक में बाल कुपोषण पर चर्चा चल रही है और कुछ अधिकारी, जिनमे महिला अधिकारी भी सहमिल है, कैसे मोबाइल फ़ोन पर सोशल मीडिया पर व्यस्त है।
बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूरी ने आज हरिद्वार जनपद के विभागों की अनुश्रवण समिति की बैठक आयोजित की थी। बैठक में बच्चों से जुड़े तमाम विभागों की अनुश्रवण समिति के अधिकारियों को शामिल होना था। बैठक में बच्चों को लेकर बनाई गई योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर तमाम विभाग कार्य कर रहे है लेकिन बावजूद इसके पूरे राज्य में हरिद्वार जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा है। बैठक में ज्यादातर विभागों के अधिकारी आये भी मगर बच्चों के कुपोषण पर चिंता करने के बजाय उनकी चिंता फेकबुक और व्हाट्सअप्प को लेकर थी। उनका ध्यान बैठक में कम सोशल मीडिया पर आए मैसेजों, खबरों आदि पर था। शायद ये अधिकारियों को लगता है कि आज सब समस्याओं का हल फेसबुक और व्हाट्सअप्प जैसे सोशल मीडिया पर ही है।
आयोग के अध्यक्ष योगेन्द्र ने अधिकारियों के इस रवैये पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि आयोग का काम बच्चों से जुड़ी योजनाओं पर बैठकों में आंकलन करना और दिशा निर्देश देना है। डीएम के माध्यम से इन योजनाओं के क्रियान्वयन कराने की जिम्मेदारी है। अगर बैठक में कुछ अधिकारी मोबाइल पर लगे हुए थे तो ये बहुत गंभीर है। इन अधिकारियों को समझना चाहिए कि ये बैठक बहुत महत्वपूर्ण थी।
बाल संरक्षण के लिए राज्य सरकार भले ही तमाम प्रयास कर रही हो सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने अधिकारियों को इस बाबात लाख निर्देश दे रहे हो लेकिन देहरादून से दूर बैठे अधिकारी त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशों का पालन किस तरह से कर रहे हैं यह आपने हमारी खबर में देख लिया। अब जरूरत है ऐसे अधिकारियों पर लगाम लगाने की जो मोटी तनख्वाह लेकर भी अपने काम ओर जिम्मेदारियों को लेकर लापरवाह बने हुए है।