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कलयुग में हरि नाम स्मरण ही भवसागर से पार पाने का उत्तम उपायः शास्त्री

हरिद्वार। श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिन कथा व्यास पं. मनोज कृष्ण शास्त्री ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए श्रोत्राओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उन्होंने कहा कि सुदामा की पत्नी ने सुदामा को भगवान श्रीकृष्ण के पास जाने का आग्रह किया। सुदामा की पत्नी ने कहाकि श्रीकृष्ण बहुत दयावान हैं, इसलिए वे हमारी सहायता अवश्य करेंगे। सुदामा ने संकोच-भरे स्वर में कहाकि श्रीकृष्ण एक पराक्रमी राजा हैं और मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं। मैं कैसे उनके पास जाकर सहायता मांग सकता हूं। सुदामा की पत्नी ने उत्तर दिया, तो क्या हुआ मित्रता में किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं होता। आप उनसे अवश्य सहायता मांगें। कथा व्यास ने कहाकि अंततः सुदामा श्रीकृष्ण के पास जाने को राजी हो गये। सुदामा की पत्नी श्री कृष्ण को भेंट करने के लिए पड़ोसियों से थोड़े-से चावल मांगकर ले आई तथा सुदामा को वे चावल अपने मित्र को भेंट करने के लिए दे दिए। सुदामा द्वारका के लिए रवाना हो गये। कथा व्यास ने कहाकि मित्रता का अनुपम उदाहरण भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा से मिलकर किया। उन्होंने बिना मांगे सुदामा को सब कुछ दे दिया और सुदामा को इसका भान तक नहीं हुआ। पं. मनोज कृष्ण शास्त्री ने कहाकि कलयुग में केवल हरिनाम स्मरण ही भव से पार होने का एकमात्र उपाय है। जो भी सच्चे मन से हरि के नाम का स्मरण करता है वह भवसागर से पार हो जाता है।
मंदिर के श्री मंहत त्रिवेणी दास महाराज ने कहाकि भागवत भगवान का शब्दात्मक श्री विग्रह है। कलयुग में मुक्ति पाने का सबसे सरल उपाय भागवत कथा श्रवण ही है। जो भी जीवन में एक बार भी भागवत कथ का श्रवण कर लेता है वह भवसागर से पार हो जाता है। इसी के साथ सात दिनों से चली आ रही श्री मद् भागवत कथा को विश्राम दिया गया।
इस अवसर पर कथा में सहयोग करने वालों में वीरेन्द्र वत्स, अचला मल्होत्रा, हिमांशु चोपड़ा, सुन्दर सिंह मनवाल, नीरज चौधरी, सतीश शर्मा, अमित चावला, प्रवीन्द्र गोयल, जितन्द्र प्रसाद, अनिल ठाकुर आदि प्रमुख थे।

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