भाजपा इस बार हरिद्वार शहर व ज्वालापुर सीट पर बदलाव के मूड में!
हरिद्वार। उत्तराखंड में इस बार के विधानसभा चुनाव बेहद खास होंगे। बीजेपी जहां 60 पार का नारा दे रही है तो वहीं, कांग्रेस सत्ता में आने के लिए छटपटा रही है।
हरिद्वार जनपद की ज्वालापुर और हरिद्वार शहर, ये दो सीटें वर्तमान में बीजेपी के कब्जे में हैं। इनसे लगती हुई हरिद्वार ग्रामीण और रानीपुर विधानसभा सीट भी बीजेपी के पास है, लेकिन इस बार बीजेपी आलाकमान हरिद्वार में टिकट बंटवारे को लेकर काफी सोच-विचार कर रहा है। माना जा रहा है कि विवादों में रहने वाले नेता और जनता के बीच अपनी पकड़ खो चुके नेताओं को शायद इस बार पार्टी टिकट ना दे। इस बार बीजेपी विधायकों के खिलाफ ही उनके अपने नेता ही खडघ्े हो गए हैं कि टिकट सीटिंग विधायक को नहीं बल्कि उन्हें मिलना चाहिए।
हरिद्वार शहर की बात करें तो हरिद्वार शहर इस बार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक मौजूदा विधायक हैं। चार बार के विधायक और कई बार मंत्री रह चुके मदन कौशिक का हर बार सिक्का चला है, लेकिन इस बार प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते पार्टी इस पर भी विचार कर रही है। बताया यह भी जा रहा है की पार्टी इस बार हरिद्वार से किसी और को टिकट देने का मन भी बना रही है। मदन कौशिक की घटती लोकप्रियता और उनके अपने जिस तरह से मैदान में खडघ्े होकर पार्टी से टिकट मांग रहे हैं उससे यही लगता है कि इस बार अगर मौका मदन कौशिक चूके तो इस बार किसी और की लॉटरी लग सकती है। इस बार मदन कौशिक के सामने जिन दो नेताओं ने टिकट की दावेदारी की है, उनमें पहला नाम कन्हैया खेवाडिया का है और दूसरा पूर्व मेयर मनोज गर्ग का। कन्हैया पूर्व में पार्षद रह चुके हैं और उनको युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष पद से इसलिए हटा दिया गया क्योंकि हाल ही में उन्होंने टिकट की दावेदारी की थी। ऐसे ही चुनाव समिति में पूर्व मेयर मनोज गर्ग भी शामिल थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने टिकट की दावेदारी की वैसे ही उनको भी चुनाव संचालन समिति से हटा दिया गया। अब यह दो नेता अंदर खाने पार्टी के बडघ्े नेताओं से संपर्क में हैं।
हरिद्वार के मुख्य मुद्दे सफाई व्यवस्था, बेरोजगारी, नशे का काला कारोबार, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, शिक्षा के नाम पर दशकों पुराने कॉलेज और स्कूल चल रहे हैं। सडघ्क, पानी, बिजली जैसी समस्याओं के साथ-साथ व्यापारियों से जुडघ्ी समस्या बडघ मुद्दा है। हरिद्वार शहर सीट पर लगभग 35 प्रतिशत ब्राह्मण वोट बैंक है, जबकि पंजाबी 20 से 21 फीसदी, ठाकुर 15 फीसदी, ओबीसी, दलित 15 फीसदी और वैश्य समाज के 10 फीसदी वोटर हैं। अब देखना होगा कि इस बार पार्टी मदन कौशिक पर ही दांव खेलती है या फिर अन्य विकल्प पर विचार करती है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर ऐसी नौबत आती है कि मदन कौशिक का टिकट कटता है तो मदन कौशिक किसी अपने ही व्यक्ति को टिकट दिलवा सकते हैं।
इस बार ज्वालापुर विधानसभा सीट भी बेहद महत्वपूर्ण सीट मानी जा रही है। ज्वालापुर विधानसभा सीट से इस वक्त अपने आप को धर्मगुरु बताने वाले सुरेश राठौर विधायक हैं। रविदासाचार्य के रूप में प्रसिद्ध हुए सुरेश राठौर यहां से विजयी हुए थे लेकिन पार्टी के पास इन 5 सालों में जिस तरह की रिपोर्ट उनकी गई है, इस बार उनके टिकट को लेकर भी संशय है। शायद यही कारण है कि सुरेश राठौर दिल्ली से लेकर देहरादून तक आए दिन टिकट को लेकर अपनी पैरवी कर रहे हैं। इस बार हरिद्वार की ज्वालापुर विधानसभा सीट से बीजेपी से ही टिकट की दावेदारी बीजेपी के नेता देवेन्द्र प्रधान ने भी की है। देवेन्द्र प्रधान युवा चेहरा होने के साथ-साथ उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने सुरेश राठौर के खिलाफ आवाज बुलंद की। उनको ज्वालापुर विधानसभा सीट में युवा चेहरा माना जाता है।
सुरेश राठौर बीते दिनों महिला के केस में भी चर्चाओं में आए थे। हालांकि बाद में इस मामले में महिला पक्ष पीछे हट गया। सुरेश राठौर को जनता ने सडघ्क, पानी, बिजली और गांवों के बदहाल स्थिति सुधरने की उम्मीद में जिताया था। लेकिन बीजेपी के अंदरूनी सर्वे ने भी यह पाया है कि इस बार सुरेश राठौर की हालत ज्वालापुर विधानसभा सीट से बेहद खराब है। शायद यही कारण है कि इस बार पार्टी के नेता उनके सामने अपनी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। देवेन्द्र प्रधान लगातार चुनावों से पहले अपनी दावेदारी ठोकने के लिए रोज बडघ्ी संख्या में नुक्कडघ् पर सभा कर रहे हैं। ऐसे में देवेन्द्र प्रधान को भी लगता है कि इस बार पार्टी विधायक के टिकट पर बदलाव करके उनको मौका दे सकती है।