Haridwar

बलवीर पुरी को उत्तराधिकारी घोषित करने का नरेन्द्र गिरि को नहीं अधिकार

हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के एक वरिष्ठ संत ने ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज की कथित वसीयत व उसमें बलवीर पुरी उर्फ बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाए जाने पर सवालिया निशान लगाया है। उन्होंने कहाकि जो व्यक्ति मालिक होता है वह सम्पत्ति की वसीयत कर सकता है किन्तु नरेन्द्र गिरि बाघम्बरी मठ के मालिक नहीं थे। उन्होंने कहाकि मठ के संचालन का अधिकार ही नरेन्द्र गिरि के पास था। वास्तव में मठ का स्वातित्व श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पास ही है। ऐसे में बलराम गिरि को मठ का उत्तराधिकारी बनाए जाने का सवाल ही उत्पन्न नहीं होता। इस संबंध में अखाड़े के पंच परमेश्वर का निर्णय ही अंतिम होगा।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1978 में बाघम्बरी गद्दी का श्रीमहंत बलदेव गिरि महाराज को श्रीमहंत श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पंच परमेश्वर ने बनाया था। उसके बाद कुछ संतों ने उनसे गद्दी छोड़ने को कहा तो वर्ष 2004 में उन्हांेने तत्काल गद्दी को छोड़ दिया। उसके बाद भगवान गिरि को अखाड़े के पंच परमेश्वर ने गद्दी का श्रीमहंत बनाया जिस पर श्रीमहंत बलदेव गिरि महाराज के भी हस्ताक्षर थे। 2006 में उनकी मृत्यु के बाद नरेन्द्र गिरि दवाब बनाकर बाघम्बरी के श्रीमहंत बने, किन्तु उनकी चादरपोशी भी अखाड़े के पंच परमेश्वर ने ही की थी। ऐसे में नरेन्द्र गिरि बाघम्बरी मठ के मालिक न होकर केवल संचालक थे। उन्होंने कहाकि पहले तो जिस पत्र को उनकी वसीयत बताया जा रहा है उसकी प्रमाणिकता होना अभी शेष है। जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि वह उनके द्वारा लिखा गया है या नहीं। उन्होंने कहाकि जो पत्र सामने आया है उस पर किसी भी प्रकार से विश्वास नहीं किया जा सकता। यह एक षडयत्र का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि यदि पत्र की प्रमाणिकता साबित भी हो जाती है तब भी बलवीर पुरी उर्फ बलवीर गिरि मढ़ी मुलतानी का कारोबारी को बाघम्बरी गद्दी का उत्तराधिकारी बनाया जाना या न बनाना श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पंच परेश्वर पर निर्भर करता है। पंच परमेश्वर को ही गद्दी पर किसी को बैठाने का एकमात्र अधिकार है। उन्होंने कहाकि बलवीर पुरी उर्फ बलवीर गिरि कहकर प्रस्तुत किया जा रहा है। जबकि बलवीर पुरी उर्फ बलवीर गिरि नरेन्द्र गिरि वाली मुलतानी मढ़ी का ही साधु है। उन्होंने कहाकि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। कहाकि यदि जांच सही प्रकार से होती है तो कई बढ़े मगरमच्छ सामने आ सकते हैं।

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