नकली को असली बनाने का परिणाम है निरंजनी अखाड़े की फजीहत
हरिद्वार। नकली को यदि असली का रूप देकर प्रस्तुत किया जाए तो उसके दुष्परिणाम ही सामने आते हैं। जिसका उदाहरण वर्तमान में प्रयागराज स्थित बाघम्बरी गद्दी में देखा जा सकता है। जहां एक पुरी नामा को नकली गिरि नामा बनाकर दवाब में गद्दी सौंपी। जिसकी परिणति यह हुई की आज तपोनिधि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की पूरे देश में फजीहत हो रही है।
अखाड़े के एक वरिष्ठ संत ने बताया कि तपोनिधि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में कुल 18 मढि़यां हैं। जिसमें से 10 मढि़यां गिरि नामा की हैं। 5 मढ़ी पुरी नामा संन्यासियों की हैं। जबकि 2 मढ़ी भारती नामा और 1 मढ़ी वन नामा की हैं। इन 18 मढि़यों में से 10 गिरि नामा मढि़यों में पूर्व में लगता है कि गिरि नामा संन्यासियों का अकाल पड़ गया था। वर्ष 2006 में श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि को महंताई दिए जाने के समय क्या दस मढि़यों में एक भी संत गिरि नामा का ऐसा नहीं मिला जिसे बाघम्बरी की कमान सौंपी जाती। उन्होंने बताया कि पुरी नामा मुतलानी मढ़ी से नकली गिरि नामा की उत्पत्ति करायी गयी और कराए जाने का प्रयास जारी है। यही कारण रहा की पुरी से नकली गिरि बनाकर गद्दी सौंपने का परिणाम आज पूरा देश देख रहा है। इसके साथ ही निरंजनी अखाड़े की फजीहत भी अब जगजाहिर है। वरिष्ठ संत के मुताबिक अखाड़े में गिरि नामा की 10 मढि़यां मात्र गिनती के लिए रह गयी हैं। यदि नकली को पूर्व में असली बताकर प्रस्तुत न किया जाता तो वर्तमान में जो फजीहत निरंजनी अखाड़े की हो रही है उससे बचा जा सकता है।