पंच गीत भागवत के पंच प्राणः मनोज कृष्ण
हरिद्वार। प्राचीन श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह की कथा का प्रसंग का वर्णन किया गया। विवाह का आयोजन धूमधाम के साथ मनाया गया।
कथा व्यास पं. मनोज कृष्ण शास्त्री ने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है, वह भव से पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। उन्होंने कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण, कालयवन का वध, उद्धव गोपी संवाद, उद्धव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना व रुकमणी विवाह के प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा के दौरान पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया। महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुकमणी के विवाह की झांकी ने सभी को आनंदित किया। कथा स्थल पर रुक्मिणी विवाह के आयोजन ने श्रद्घालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह पर जमकर फूलों की बरसात हुई। मंदिर के महंत त्रिवेणी दास महाराज ने सामर्थ्य के अनुसार विवाह में दहेज आदि भी दान किया गया। कथा व्यास ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है। यदि कोई कमी रहती है, वह मात्र संकल्प की होती है। संकल्प व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करते हैं। रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर उन्होंने कहा कि रुक्मिणी के भाई ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था, लेकिन रुक्मिणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी। उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है। द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी हैं। इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपनाएंगी। अंत भगवान श्रीद्वारकाधीश ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया। उन्हें पद्यी के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया।
इस अवसर पर वीरेन्द्र वत्स, अचला मल्होत्रा, हिमांशु चोपड़ा, सुन्दर सिंह मनवाल, नीरज चौधरी, सतीश शर्मा, अमित चावला, प्रवीन्द्र गोयल, जितन्द्र प्रसाद, अनिल ठाकुर आदि ने सहयोग किया।