संतों की भूमि पर अब पूजे जा रहे छलिए:-धन ही बना दीन धर्म
हरिद्वार। तीर्थनगरी हरिद्वार को गंगा नगरी के साथ संतों की नगरी भी कहा जाता है। यहां बड़ी संख्या में आश्रम और अखाड़े हैं। जहां धर्म के संरक्षक संत निवास करते हैं। एक समय था जब हरिद्वार में चारों ओर भगवा ही सड़कों पर नजर आता था, किन्तु अब इसमें काफी कमी आयी है। अब कुछ ही स्थानों पर भगवा नजर आता है। इसका प्रमुख्य कारण कथित संतों का अपने मूल मार्ग से दूर होते जाना है। आलम यह है कि जिन आश्रमों में कभी संतों की भरमार रहा करती थी, वहां अब गिने-चुने की साधु दिखायी देते हैं। उनके स्थानों पर छलियों का डेरा हो चुका है। ऐसा सभी आश्रमों का हाल नहीं चंद आश्रम ऐसे हैं जहां संतों से अधिक बदमाशों को तवज्जों दी जाती है।
ऐसा इसलिए की कनखल स्थित एक सम्पत्ति पर अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए सूत्रों के मुताबिक आधा दर्जन बदमाशों ने वहां पहुंचकर भूमि स्वामी को अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर डराने का काम किया। बताते हैं कि भूमि का एक भाग एक व्यक्ति ने क्रय किया था। अपने प्रभाव के चलते उस हिस्से में एक संत आए दिन अड़चने पैदा करता आ रहा था। सूत्र बताते हैं कि विगत दिनों उस भूमि के हिस्से पर प्रशासन के अधिकारियों ने मिलकर रोक भी लगवा दी, किन्तु जब भूमि स्वामी ने अधिकारियों को अपने कागजात दिखाए तो अधिकारी सकपका गए। भूमि स्वामी ने कहाकि क्या आप कोर्ट से बड़े हैं। जब कोर्ट ने उसको स्वामी माना हुआ है तो भूमि पर रोक संबंधी आदेश आपके द्वारा क्यों दिए गए। जिस पर अधिकारी अनुत्तरित हो गए और अपने की आदेश को उन्हें बदलना पड़ा। जबकि एक सप्ताह पूर्व उस भूमि पर अपना दवाब बनाने के लिए करीब आधा दर्जन बदमाशों को वहां भेजा गया। जिससे भूमि स्वामी डर जाए और लाखों रुपये की अपनी सम्पत्ति को छोड़ दे। सूत्र बताते हैं कि अधिकारी ने किस संत के इशारे पर यह काम किया उसका नाम भी भूमि स्वामी को बताया। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भगवा धारण कर भजन के स्थान पर क्या किया जा रहा है और कैसे बदमाशों को संरक्षण किया जा रहा है।
ठीक ही कहा हैः-
कहीं दीन तो कहीं ईमान बिक रहा है
कहीं कोयला तो कहीं खदान बिक रहा है
अयोध्या की गुम्बद में हिंदुस्तान बिक रहा है।
कहीं टू जी तो कहीं स्पैक्ट्रम हो रहा है
नंगा हुआ जो उसी का सम्मान हो रहा है।
कहीं चाईना में भारत का हनुमान बिक रहा है।
दूध मां का तो कहीं बाप का अरमान बिक रहा है
राम के देश में चहंुओर कत्लेआम मच रहा है।
असहिष्णुता पर देश में ढोल पिट रहा है
नेताओं के चक्कर में सम्मान बिक रहा है।
दुश्मनों को मारने वालों पर इल्जाम लग रहा है
कश्मीर के पत्थरबाजों को सम्मान मिल रहा है।
हैवान पूज रहे हैं गांधी के देश में
जेएनयू में कसाब और अफजल को सम्मान दे रहा है
कलियुग में मंदिरों में भगवान बिक रहा है
पूजा के थाल में बारूद का सामान मिल रहा है।
सब कुछ लुटा दिया जाता था जिस ईमान के लिए
चंद रुपयों की खातिर देखो वह ईमान बिक रहा है।