धर्मनगरी में भगवा और खादी के गठजोड़ से बढ़ रहा अधर्म
हरिद्वार। पुराणों में वर्णित सप्त मोक्षदायी नगरों में मायापुरी अर्थात हरिद्वार का नाम भी शामिल हैं। यहां स्नान, दान और संत दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। किन्तु वर्तमान में मोक्ष प्रदान करने वाली इस नगरी में अधर्म बढ़ने लगा है। इसका मुख्य कारण भगवा और खादी का गठजोड़ हैं। भगवा जिसके दर्शन करने मात्र से एक समय में आनन्द की अनुभूति हुआ करती थी वहीं अब लोगों को बैचेन करने लगा है।
सभी जानते हैं कि तीर्थनगरी को भगवा लोगों की नगरी कहा जाता है। यहां सैंकड़ों की आश्रम, अखाड़े और मठ हैं। हजारों भगवाधारी यहां निवास करते हैं। किन्तु समय के साथ-साथ स्वंय को त्याग की प्रतिमूर्ति बतलाने वाले अब धन संग्रह में अधिक व्यस्त रहने लगे हैं। इसके लिए अब उन्होंने अनीति का मार्ग भी अना लिया है। अब कुछ कथित भगवाधारी लोगों की सम्पत्तियों पर कब्जा करने और गलत तरीके से उनकी खरीद-फरोख्त के काम में भी उतर गए हैं। इस कार्य में उनका बखूबी साथ खादी भी जमकर दे रही है। मजेदार बात यह कि जिस सम्पत्ति पर कब्जा आसान होता है वहां यह सम्पत्ति स्वंय डकार जाते हैं, किन्तु जहां कुछ कानूनी अड़चने सामने होती हैं वहां यह खादी को अपना हमराज बना लेते हैं और दोनों मिलकर लोगों की सम्पत्ति पर मजे लुटते हैं। एक समय था जब खादी भगवे की चरण वंदना करती थी, अब सम्पत्ति के लालच में भगवा खादी की परिक्रमा करते नहीं थकते। सूत्र बताते हैं कि कनखल में एक भगवा की विवादित सम्पत्ति को भगवा और खादी के गठजोड़ से तीन-पांच कर दिया। बताया जाता है कि मामला पेजीदा होने के कारण एक राष्ट्रीय स्तर व एक प्रदेश स्तर की खादी धारी ने उस सम्पत्ति के कुछ हिस्से को अपने चहेतों के नाम पर खरीद लिया। इतना ही नहीं अब शेष सम्पत्ति को खुर्दबुर्द करने के लिए खादी भगवे के साथ खड़ी है। वहीं गरीब भगवाधारियों की सम्पत्ति को अमीर और खादी से घिरे रहने वाले भगवाधारी आराम से कब्जा कर रहे हैं। हालात यह हैं कि अपने प्रभाव के कारण ये किससी को भी जेल भिजवाने तक से पीछे नहीं हैं। सूत्र बताते हैं कि एक प्रख्यात भगवाधारी ने एक पूरे परिवार को अपनी पोल खुलने से बचने के लिए जेल की सलाखों के पीछे भिजवाया है। कई ऐसे आश्रम हैं जहां खादी की उन पर नजर है और भगवाधारी ही उनका साथ दे रहे हैं। बस दोनों की प्रत्येक मामले में पत्ती सेट रहती है। भगवे का खादी संग गठजोड़ का प्रभाव है कि इनके खिलाफ आवाज उठाने वाले की न तो सरकार और न ही पुलिस प्रशासन सुनता है। हां इतना जरूर है कि किसी के खिलाफ यदि भगवा या खादी शिकायत कर दें तो उसका पुलिस व प्रशासन से बचना नामुमकिन है। ऐसे में धर्मनगरी में अधर्म को वही लोग बढ़ावा दे रहे हैं जो स्वंय को धर्मध्वजा वाहक कहते नहीं थकते।